Concept of Health | स्वास्थ्य की अवधारणा:- स्वास्थ्य की अवधारणा स्वास्थ्य और तंदरुस्ती के सामरिक, मानसिक और सामाजिक पहलुओं को संतुलित रखने का एक समूहित परिभाषित अवलोकन है। यह मानव के शारीरिक, ज्ञानात्मक, भावनात्मक और सामाजिक क्षेत्रों की समृद्धि और स्थिरता के साथ जुड़ा हुआ है। स्वास्थ्य का मतलब बस रोग अभाव नहीं होता है, बल्कि सामरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से सुरक्षित रहना होता है और शारीरिक और मानसिक कठिनाइयों के साथ संघर्ष करने की क्षमता भी होती है।
स्वास्थ्य की अवधारणा | Concept of Health
वैबस्टर काल्जीएट डिक्शनरी (Webster Collegiate Dictionary) के अनुसार स्वास्थ्य का अर्थ है, “शरीर, दिमाग या आत्मा का स्वस्थ तथा मजबूत होना जिसमें मुख्य रूप से शारीरिक बीमारी या दर्द न होना है।” स्वास्थ्य शरीर में सन्तुलन की अवस्था का नाम है जो शरीर में बीमारी फैलने वाले तत्वों को रोकती है।
स्वास्थ्य सभी सांस्कृतियों का मुख्य उद्देश्य है। वास्तव में सभी नस्लों की स्वास्थ्य के प्रति अपनी-अपनी संकल्पना है। यह उनकी संस्कृति का हिस्सा है। किसी देश की ताकत वहां के लोगों के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है तथा लोगों का स्वास्थ्य मुख्य रूप से स्वास्थ्य के लिए तथा स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किये गये प्रबन्धों पर निर्भर करती है। स्वास्थ्य हर व्यक्ति का प्राथमिक मानवीय अधिकार है।
स्वास्थ्य मनुष्य की सबसे अनमोल संपत्ति है। जो लोग स्वास्थ्य के प्रति सचेत है वो स्वास्थ्यमंद हैं तथा जो लोग स्वास्थ्य के प्रति सचेत नहीं हैं वे उसको खो देते हैं। व्यक्ति कैसे स्वस्थ रह सकता है इस बात का सभी को पता होना चाहिए। स्वास्थ्य का भाव बीमारी न होना ही नहीं है बल्कि यह सकारात्मक दृष्टिकोण से जीवन व्यतीत करना साथ में अपने कार्य में गुणवत्ता लाना तथा खुशी से जीवन व्यतीत करना है।
स्वास्थ्य को व्यक्तिगत स्तर पर अनदेखा किया जाता है और दूसरी आवश्यकताओं जैसे धन संपत्ति, सत्ता, मान, इज्जत, रूतबा, ज्ञान, सुरक्षा आदि को स्वास्थ्य से अधिक महत्त्व दिया जाता है। स्वास्थ्य पर प्रायः ध्यान नहीं दिया जाता तथा इसके मूल्य को तब तक नहीं समझा जाता जब तक यह खो न जाए।
प्रत्येक व्यक्ति का स्वास्थ्य मुख्य रूप से उसकी स्वयं की जिम्मेदारी होती है। प्रत्येक व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ होने की बजाए सफल होना अधिक होना अधिक पसन्द करता है। स्वास्थ्य को बनाया जाता है तथा यह अपने आप संयोगवश नहीं बनता। अगर कोई व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक तौर पर स्वस्थ होने के लिए प्रयास करता है तो उसके लिए जीवन का महत्त्व और बढ़ जाता है। अगर हम स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहते हैं तो इसके परिणाम भी अच्छे निकलते हैं। अगर हम स्वास्थ्य के प्रति सचेत नहीं रहेंगे तो न सिर्फ हमारा शरीर बल्कि हमारा दिमाग भी बीमार पड़ जाएगा।
पिछले कुछ दशकों के दौरान लोग इस बात के प्रति सचेत हुए हैं कि स्वास्थ्य एक हैं प्राथमिक मानवीय अधिकार तथा एक विश्व स्तरीय सामाजिक उद्देश्य है तथा इससे तृप्ति तथा जीवन में गुणवत्ता आती है इसलिए सभी लोगों का स्वस्थ अच्छा होना अति आवश्यक है।
स्वास्थ्य मनुष्य की सबसे अमूल्य संपत्ति है। (Health is wealth) जो लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत होते हैं वे नगरीय रहते हैं तथा इसके विपरीत जो लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत नहीं होते वे अपने स्वास्थ्य को खो देते हैं। पहले समय में स्वास्थ्य को शरीर का सही सलामत या निरोगी अवस्था होना ही माना जाता था।
स्वास्थ्य का अर्थ निरोग एवं प्रसन्नचित होना माना जाता था। एक आम धारणा होती थी कि स्वास्थ्य बीमारी का अभाव है, लोग हृष्ट-पुष्ट शरीर को स्वस्थ मानते थे। कुछ साईंस पढ़े लिखे लोग स्वास्थ्य की परिभाषा इस प्रकार देते हैं कि यह शरीर के अंगों (Organs) एवं विभिन्न संस्थानों (Systems) की सामान्य रूप से कार्य करेन की स्थिति हैं; परन्तु बदलते समय के अनुसार स्वास्थ्य का अर्थ और भी व्यापक होता चला गया। मनोवैज्ञानिकों ने मानव व्यक्ति के तीन मुख्य आधार माने हैं—
(i) शरीर (Body)
(ii) मन (Mind)
(iii) आत्मा (Soul)
वर्तमान समय में बहुत सारे लोग स्वास्थ्य की व्यक्तिगत स्तर पर अनदेखी करते हैं तथा दूसरी आवश्यकताओं जैसे—धन-सम्पत्ति, सत्ता, सम्मान, ज्ञान, पद, सुरक्षा आदि को स्वास्थ्य से अधिक महत्व देते हैं। स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया जाता तथा इसके मूल्य को
तब तक नहीं समझा जाता जब तक यह खो न जाए। अच्छे स्वास्थ्य को बनाया जाता है, यह अपने आप संयोगवश नहीं बनता। यदि कोई व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने के लिए प्रयत्न करता है तो उसके लिए जीवन का महत्व और बढ़ जाता है। यदि हम स्वास्थ्य के प्रति सचेत एवं सतर्क रहते हैं तो इसे परिणाम भी बेहतर मिलते हैं।
स्वास्थ्य का तात्पर्य शरीर की उस अवस्था से है जिसमें शरीर के सभी अंग-प्रत्यंग, मन और बुद्धि प्राकृतिक रूप से कार्य करें। उनमें आपसी तालमेल हो और जिससे मनुष्य अपने आपको शारीरिक और मानसिक कार्य करने के लिए सक्षम समझें।
शरीर और मन की चोलीदामन का साथ है। स्वस्थ शरीर के साथ-साथ मानसिक व भावात्मक स्वास्थ्य भी आवश्यक है।
स्वास्थ्य की परिभाषाएँ (Definitions of Health) :
1. विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.-1997) के अनुसार,
“स्वास्थ्य केवल रोग अथवा असमर्थता या अपंगता को अनुपस्थिति ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण, शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक सम्पन्नता की स्थिति है।”
“Health is a state of complete physical, mental and social well-being and not merely the absence of disease or infirmity.”
2. जे. एफ. विलियम (J.F. Williams) के शब्दों में,
“स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है जिसके द्वारा हम अच्छे से अच्छा जीवन व्यतीत कर सकें तथा दूसरों के अधिक से अधिक काम आ सकें।” “Health is that quality of life which enables aperson to live most and serve best.”
3. वॉल्टमर एवं इसलिंगर (Voltmer and Esslinger) के शब्दों में,
“स्वास्थ्य वह मानसिक एवं शारीरिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपने शरीर के विभिन्न अवयवों का आंतरिक रूप से तथा अपने वातावरण से बाह्य रूप से, पूर्ण सामंजस्य स्थापित कर सके।”
“Health is considered as that condition, mental and physical, in which the individual is functionally well adjusted internally as concerns all body parts an externally as concern his enviornment.”
4. ओबर टयुफर के अनुसार,
“स्वास्थ्य वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य करने में सक्षम होता है। ”
5. डॉ. थॉमस वुड का कहना है,
“स्वास्थ्य उन सभी अनुभवों का योग है जो हमारे जीवन के सभी पक्षों को प्रभावित करते हैं
” स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Influencing Health)
स्वास्थ्य व्यक्ति की अपनी ही जिम्मेदारी है। इसकी अच्छी प्रकार से तथा समय पर देखभाल व्यक्ति के लिए किसी बड़े पुरस्कार से कम नहीं है तथा इसके प्रति लापरवाही सजा के रूप प्राप्त होती है। स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों को सकारात्मक कारक जो स्वास्थ्य को उत्तम स्वास्थ्य की ओर तथा नकारात्मक कारक जो कि स्वास्थ्य को शून्य दिशा की ओर ले जाते हैं निम्नलिखित रूप से वर्गीकृत किया जा सकता है
1. व्यक्तिगत कारक (Personal Factors)
-एक व्यक्ति को सम्पन्न एवं समृद्ध जीवन जीने के लिए अपने स्वास्थ्य कार्यक्रम में निम्नलिखित को शामिल करना चाहिए
(i) दैनिक व्यायाम करना चाहिए (कम से कम 30 मिनट प्रतिदिन)
(ii) प्रतिदिन स्नान करना चाहिए ।
(iii) आँखों, नाक और कानों को साफ रखना चाहिए
(iv) मुंह तथा दाँतों की स्वच्छता एवं देखभाल ।
(v) दैनिक जीवन के कार्यों को करते समय सही शारीरिक आसन बनाए रखना चाहिए ।
(vi) नियति रूप से संतुलित तथा पौष्टिक आहार लेना चाहिए ।
(vii) उपर्युक्त नींद, आराम तथा मनोरंजन |
(viii) सही व्यवसाय |
(ix) खाली समय का सही सद्उपयोग करना चाहिए।
(x) जीवन के प्रति सकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण
2. अनुवंशिकता / वंशानुक्रम (Heredity Factors)
– वह गुण जो माता-पिता से उनके बच्चों में चले जाते हैं इन्हें हम ‘जीन’ (Genes) कहते हैं इन्हें जन्म के पश्चात् बदला नहीं जा सकता। इन गुणों को अनुवंशिकता कहा जाता है। मंदबुद्धि डायबटीज, एड्स, मेटाबोलिजम में खराबी, उक्त रक्त चाप इत्यादि ऐसे रोग है जो साधारणतया माता-पिता से बच्चों में स्थानांतरित हो जाते हैं। अच्छी अनुवंशिकता बच्चे को सदृढ़ शरीर तथा अच्छा मस्तिष्क प्रदान करती है जबकि एक कमजोर अनुवंशिकता शारीरिक विकारों तथा रोगों का कारण बनती है।
इन्हें भी देखें
- CTET CDP Question Paper 4th February 2023
- CTET 7th February CDP Question Paper 2023
- CTET 6th February 2023 Question Paper HINDI
- CTET Previous year Question Paper 17 january 2022 CDP Question
- पियाजे के संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत
- Theory of Transfer Of Learning
- विशिष्ट शिक्षा से आप क्या समझते हैं ? इसके विशेषताओं तथा उद्देश्यों
- प्रक्रियात्मक अधिगम – Procedural Learning
- Types of Knowledge | ज्ञान के प्रकार