1. विशिष्ट शिक्षा से आप क्या समझते हैं ? इसके विशेषताओं तथा उद्देश्यों का (What do you understand by special education? Discuss its character /special education meaning
विशिष्ट शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Special education meaning)
परिचय
Special education meaning :- विशिष्ट शिक्षा का अर्थ ऐसी शिक्षा से है जो उन बच्चों को प्रदान की जाती है जिनकी शारीरिक, मानसिक, या सामाजिक विशेषताएँ सामान्य बच्चों से भिन्न होती हैं। यह शिक्षा उनके विशेष शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से तैयार की जाती है। इस लेख में, हम विशिष्ट शिक्षा के विभिन्न पहलुओं, उसकी परिभाषाओं, उद्देश्यों, और महत्व पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
विशिष्ट शिक्षा (Special education meaning) उन बच्चों के लिए एक अनुकूलित शैक्षिक दृष्टिकोण है जिनकी शारीरिक, मानसिक या सामाजिक आवश्यकताएं सामान्य बच्चों से अलग होती हैं। यह शिक्षा उन्हें आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाने में सहायक होती है। विशिष्ट शिक्षा की परिभाषा, इसके उद्देश्य और विशेषताएं जानें। विशेष शिक्षा के महत्व, प्रकार और सिद्धांतों के साथ इसके ऐतिहासिक विकास और शिक्षण विधियों पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करें। इस लेख में विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता और इसके विभिन्न पहलुओं को सरल और स्पष्ट भाषा में समझाया गया है। विशेष शिक्षा का मतलब और इसकी प्रासंगिकता के बारे में जानें।
विशिष्ट शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा
विशिष्ट शिक्षा एक विशेष शैक्षिक कार्यक्रम है जिसे उन बच्चों के लिए डिजाइन किया गया है जो शारीरिक, मानसिक, या सामाजिक विकलांगता से ग्रस्त होते हैं। इसका उद्देश्य उन्हें समाज में आत्मनिर्भर और समायोजित बनाना है।
विशिष्ट शिक्षा की परिभाषाएँ
कर्क के अनुसार: विशिष्ट शिक्षा उन पहलुओं को इंगित करती है जो विकलांग एवं प्रतिभाशाली बच्चों के लिए होती है, लेकिन औसत बालकों के मामले में यह प्रयुक्त नहीं होती है।
हल्लहन और कॉफमैन (1973) के अनुसार: विशेष शिक्षा का अर्थ विशेष रूप से तैयार किये गये साधनों द्वारा विशिष्ट बच्चों को प्रशिक्षण देना है।
विकलांग शिक्षा अधिनियम के अनुसार: विशिष्ट शिक्षा विशिष्ट रूप से डिजाइन किया गया अनुदेश है जो विकलांग बच्चों की अतुलनीय आवश्यकताओं की पूर्ति करता हो।
विशिष्ट शिक्षा की विशेषताएँ
- विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति: विशिष्ट शिक्षा विशेष बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करती है चाहे वह बच्चा प्रतिभाशाली हो या पिछड़ा।
- समायोजन में सहायता: यह शिक्षा विशेष बच्चों के समाज के साथ समायोजन में सहायता करती है।
- पहचान और निदान: विशिष्ट शिक्षा विशेष बच्चों की पहचान और निदान में सहायक है।
- विकासात्मक प्रकृति: यह शिक्षा विकासात्मक होती है, जो बच्चों को आत्मनिर्भर बनाती है।
- विशेष सामग्री और पाठ्यक्रम: विशिष्ट शिक्षा के लिए विशेष शिक्षा सामग्री, विशेष पाठ्यक्रम और विशेष प्रशिक्षण प्राप्त अध्यापकों की आवश्यकता होती है।
- व्यावसायिक प्रशिक्षण: पिछड़े बच्चों को उनके स्तर के अनुसार व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
- सार्वभौमिक प्रकृति: यह शिक्षा सभी प्रकार के विशेष बच्चों को दी जाती है, चाहे वे बच्चे धर्म, जाति, लिंग, रूप, या आकार के अनुसार भिन्न हों।
- अधिकार: प्रत्येक नागरिक को सामान्य शिक्षा लेने का अधिकार है, अतः विशेष बच्चों को विशिष्ट शिक्षा का अधिकार है।
विशिष्ट शिक्षा के उद्देश्य
- शिक्षण अधिगम और कौशल का आकलन: वर्ग-कक्षा में विकलांग बच्चों के शिक्षण अधिगम और कौशल का आकलन करना।
- सुव्यवस्थित अनुकूलन: विकलांग बच्चों के सुव्यवस्थित रूप से पढ़ने-लिखने संबंधी भौतिक और अकादमिक अनुकूलन की पहचान करना।
- शक्तियों और कमजोरियों की पहचान: नि:शक्त स्कूली बच्चों की शक्तियों और कमजोरियों की पहचान करना।
- मुख्य धारा में लाना: बच्चों को मुख्य धारा में लाने वाली गतिविधियों की योजना निर्माण में सहभागी बनाना।
- समुदाय और अभिभावक कार्यक्रम: अभिभावक और सामुदायिक आरियेन्टेशन कार्यक्रमों में भाग लेना।
- पारस्परिक संबंध: पुनर्वास विशेषज्ञों और स्कूल कर्मचारियों के बीच पारस्परिक संबंध कायम करना।
- मुख्य धारा में दाखिला: विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को मुख्य धारा की कक्षा में दाखिले के लिए कार्यक्रमों का निर्माण करना।
- देखभाल के लिए मानसिक तैयारी: सामान्य कक्षाओं के शिक्षकों और छात्रों को निःशक्त बच्चों की देखभाल के लिए मानसिक तौर पर तैयार करना।
विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता
विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता इस प्रकार है कि यह विशेष बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करती है। यह शिक्षा बच्चों की क्षमताओं, योग्यताओं, रुचियों, और अभिरुचियों को ध्यान में रखकर दी जाती है। विशिष्ट शिक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि यह समाज के लोगों का विशेष बच्चों के प्रति दृष्टिकोण बदलने में सहायक होती है।
विशेष शिक्षा के सिद्धांत
विशिष्ट शिक्षा के सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
- व्यक्तिगत आवश्यकताओं पर ध्यान: हर बच्चे की व्यक्तिगत शैक्षिक आवश्यकताओं पर ध्यान देना।
- विशेष प्रशिक्षण: विशेष शिक्षकों द्वारा विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना।
- समेकित शिक्षा: विशेष और सामान्य बच्चों को एक साथ पढ़ाने का प्रयास।
- अवधारणात्मक शिक्षा: बच्चों की अवधारणात्मक क्षमताओं को विकसित करना।
- सामाजिक समायोजन: बच्चों को सामाजिक रूप से समायोजित करने का प्रयास।
निष्कर्ष
विशिष्ट शिक्षा एक महत्वपूर्ण शैक्षिक पहल है जो विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शैक्षिक और सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है। इसके माध्यम से बच्चों को आत्मनिर्भर और समाज के साथ समायोजित करने का अवसर मिलता है। विशिष्ट शिक्षा के महत्व को समझना और इसे सही तरीके से लागू करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
विशिष्ट शिक्षा का उद्देश्य केवल बच्चों को शिक्षा देना नहीं है, बल्कि उन्हें समाज का एक सक्रिय और आत्मनिर्भर सदस्य बनाना है। हमें इस दिशा में निरंतर प्रयास करना चाहिए ताकि हर बच्चा अपने अधिकारों और संभावनाओं को पूरा कर सके।
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इन्हें भी देखें
- CTET CDP Question Paper 4th February 2023
- CTET 7th February CDP Question Paper 2023
- CTET 6th February 2023 Question Paper HINDI
- CTET Previous year Question Paper 17 january 2022 CDP Question
- पियाजे के संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत
- Theory of Transfer Of Learning
- विशिष्ट शिक्षा से आप क्या समझते हैं ? इसके विशेषताओं तथा उद्देश्यों
- प्रक्रियात्मक अधिगम – Procedural Learning
- Types of Knowledge | ज्ञान के प्रकार