अधिगम के प्रकार – Types Of learning

अधिगम के प्रकार | Types Of learning :- अधिगम हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें नई जानकारी, अनुभव और सृजनशीलता के साथ प्राप्त होता है। अधिगम का तात्पर्य होता है कि हम जो कुछ भी सीखते हैं, उसे अपने मन में स्थापित करें और उसे अपने जीवन में उपयोग करें। अधिगम अनुभवों, ज्ञान और सृजनात्मकता को संचालित करके हमें स्वयं को समृद्ध और विकसित करने में मदद करता है। इस लेख में, हम विभिन्न प्रकार के अधिगम के बारे में चर्चा करेंगे।

अधिगम के प्रकार – Types Of learning

Types Of learning

अधिगम के प्रकार (Types of Learning) हमारे जीवन को समृद्ध और सृजनशील बनाते हैं। इस लेख में, हम गेगनी और उसुबेल द्वारा परिभाषित अधिगम के विभिन्न प्रकारों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। गेगनी के आठ प्रकार के अधिगम जैसे सांकेतिक सीखना, उद्दीपन-अनुक्रिया सीखना, सरल श्रृंखला का सीखना, शाब्दिक साहचर्य सीखना, विभेदीकरण सीखना, संप्रत्यय सीखना, नियम सीखना, और समस्या समाधान सीखना जीवन में सीखने की प्रक्रिया को बेहतर बनाते हैं।

इसके अतिरिक्त, मनोवैज्ञानिक उसुबेल द्वारा वर्णित अधिगम के चार प्रमुख प्रकारों पर भी विचार किया जाएगा। इनमें अभिग्रहण सीखना, अन्वेषण सीखना, रटकर सीखना, और अर्थपूर्ण सीखना शामिल हैं। इन सभी प्रकारों का अध्ययन शिक्षकों और शिक्षार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ये शिक्षण प्रक्रियाओं में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।

गेगनी के अनुसार अधिगम के प्रकार

Robert M. Gagné ने 1965 में अपनी पुस्तक “The Conditions of Learning” में सीखने के आठ मूल प्रकार का वर्णन किया है। ये सभी प्रकार शृंखलाबद्ध क्रम (hierarchical order) में होते हैं। इस शृंखला में सबसे ऊपर समस्या समाधान सीखना (problem solving learning) है तथा सबसे नीचे सांकेतिक सीखना (signal learning) है।

1. सांकेतिक सीखना (Signal Learning): सांकेतिक सीखना वलासिकी अनुबंधन सीखना (classical conditioning learning) के समान होता है जिसमें कोई तटस्थ उद्दीपन के साथ कोई स्वाभाविक उद्दीपन (natural stimulus or unconditional stimulus) को एक साथ कई बार दिया जाता है। पैवलव (Pavlov) के क्लासिकी अनुबन्धन प्रयोग में घंटी की आवाज (एक तटस्थ उद्दीपन) तथा भोजन (स्वाभाविक उद्दीपन) को साथ-साथ कुछ प्रयास तक देने पर कुत्ता मात्र घंटी की आवाज पर लार का स्राव करना सीख गया था। इस तरह का सीखना सांकेतिक सीखना के उदाहरण हैं। पैवलव के क्लासिकी अनुबन्धन को मनोवैज्ञानिकों ने ‘टाइप-एस अनुबन्धन’ (Type-S conditioning) भी कहा है।

2. उद्दीपन-अनुक्रिया सीखना (Stimulus-Response Learning): इसमें प्राणी किसी उद्दीपन के प्रति एक ऐच्छिक क्रिया (voluntary response) करता है जिसका परिणाम सुखद होता है और वह धीरे-धीरे उस उद्दीपन के प्रति वही अनुक्रिया सीख लेता है। स्कीन्नर (Skinner) का क्रियाप्रसूत अनुबन्धन (operant conditioning) या जिसे साधनात्मक अनुबन्धन (instrumental conditioning) भी कहा जाता है, इसका उदाहरण है जिसमें स्कीन्नर बक्स (Skinner box) में चूहा लिभर दबाने की प्रक्रिया को सीख लेता है। इसे मनोवैज्ञानिकों ने ‘टाइप-आर अनुबन्धन’ (Type-R conditioning) भी कहा है।

3. सरल श्रृंखला का सीखना (Learning of Simple Chaining): इसमें एक क्रम (sequence) में होनेवाले अलग-अलग कई उद्दीपन-अनुक्रिया संबंधों के सेट (set) को सीखा जाता है। यह पेशीय सीखना (motor learning) में पाया जाता है। जैसे एक कार चलाना, दरवाजा खोलना, तबला बजाना आदि ऐसे पेशीय सीखना के उदाहरण हैं।

4. शाब्दिक साहचर्य सीखना (Verbal Association Learning): इसमें व्यक्ति को उद्दीपन-अनुक्रिया का ऐसा क्रम (sequence) सीखना होता है जिसमें शाब्दिक अभिव्यक्ति (verbalization) निहित होती है। जैसे कविता याद करना, शब्दावली सीखना, कहानी याद करना आदि इसके उदाहरण हैं।

5. विभेदीकरण सीखना (Learning Discrimination): इसमें व्यक्ति विभिन्न उद्दीपनों के प्रति विभिन्न अनुक्रिया (responses) करना सीखता है। जैसे बालकों द्वारा त्रिभुज एवं चतुर्भुज में अंतर सीखना, अलजबरा तथा अंकगणित में अंतर सीखना, फुटबॉल तथा क्रिकेट में अंतर सीखना आदि इसके उदाहरण हैं।

6. संप्रत्यय सीखना (Concept Learning): कई वस्तुओं के सामान्य गुणों के आधार पर कोई विशेष अर्थ को सीखना संप्रत्यय सीखना कहा जाता है। जैसे ‘भालू’, ‘बाघ’, ‘सिंह’ तथा ‘सियार’ शब्दों में एक सामान्य गुण अर्थात जंगली पशु का संप्रत्यय छिपा है।

7. नियम सीखना (Rule Learning): नियम (rule or principle) का सीखना संप्रत्यय सीखना पर आधारित होता है। इसमें दो या दो से अधिक संप्रत्ययों (concepts) के बीच एक नियमित संबंध (regular relationship) का पता चलता है। जैसे बालकों द्वारा व्याकरण, गणित, विज्ञान आदि के विभिन्न नियमों का सीखना।

8. समस्या समाधान सीखना (Problem Solving Learning): यह गेगनी (Gagne) के शृंखलाबद्ध सीखना की सबसे ऊपरी अवस्था (highest stage) है। इसमें व्यक्ति किसी नियम (principle or rule) का उपयोग करके कोई समस्या का समाधान करता है और एक नए तथ्य को सीखता है।

मनोवैज्ञानिक उसुबेल के अनुसार अधिगम के प्रकार:- 

मनोवैज्ञानिक उसुबेल के अनुसार अधिगम के प्रकार:

मनोवैज्ञानिक उसुबेल (1968) ने सीखने के निम्नलिखित चार प्रमुख प्रकार बताये हैं:

1. अभिग्रहण सीखना (Reception Learning): इसमें शिक्षार्थी को सीखने वाली सामाग्री बोलकर या लिखकर दी जाती है और शिक्षार्थी उन सामग्रियों को आत्मसार्थ कर लेते हैं। यह रटकर भी हो सकता है तथा समझकर भी।

2. अन्वेषण सीखना (Discovery Learning): इसमें शिक्षार्थी को दी गई सामग्रियों में से नए संप्रत्यय या कोई नया नियम या विचार की खोज करनी होती है। यह अर्थपूर्ण भी हो सकता है और रटकर भी।

3. रटकर सीखना (Rote Learning): इसमें शिक्षार्थी दिए गए सामग्रियों के साहचर्य शब्दशः तथा मनमाने ढंग से उसके आशय को बिना समझे हुए सीखते हैं।

4. अर्थपूर्ण सीखना (Meaningful Learning): इसमें सीखने वाले सामग्री के सारतत्व को एक नियम के अनुसार समझकर तथा उसका संबंध गत ज्ञान से जोड़ते हुए सीखते हैं।

Types Of learning

निष्कर्ष: अधिगम के विभिन्न प्रकारों को समझना शिक्षकों और शिक्षार्थियों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। गेगनी और उसुबेल के अनुसार विभिन्न प्रकार के अधिगम शिक्षण प्रक्रियाओं में एक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होता है।

इस लेख में अधिगम के प्रकार, उनकी विशेषताएँ, और उनके उदाहरणों पर चर्चा की गई है जिससे पाठकों को अधिगम की संपूर्ण प्रक्रिया को समझने में सहायता मिलेगी।

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