सर्व शिक्षा अभियान 2001 | Sarv Shiksha Abhiyan 2001 | R M S A

Q – सर्व शिक्षा अभियान  और RMSA का विस्तार पूर्वक वर्णन करें।

सर्व शिक्षा अभियान

सर्व शिक्षा अभियान भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रम है, सर्व शिक्षा अभियान कब शुरू हुआ इसकी  शुरुआत 2001 – 2002 में अटल बिहारी बाजपेई द्वारा एक निश्चित समय अवधि के लिए किया गया था। यह कैसा ध्यान है जिसके अंतर्गत शिक्षा के स्तर को सुधारना इसका मुख्य उद्देश्य है।

सर्व शिक्षा अभियानशिक्षा में बालक बालिका एवं सामाजिक श्रेणी के अंतरो को दूर करने तथा अधिगम की गुणवत्ता में सुधार हेतु विविध अंत: झेपो में अन्य बातों के साथ-साथ नए स्कूल खोला जाना तथा वैकल्पिक स्कूली सुविधाएं प्रदान करना स्कूलों एवं अतिरिक्त कक्षा – कक्षों का निर्माण किया जाना प्रसाधन कक्षा एवं पेयजल सुविधा प्रदान करना अध्यापकों का प्रावधान करना नियमित अध्यापकों का सेवाकालीन प्रशिक्षण तथा अकादमिक संसाधन सहायता निशुल्क पाठ्य पुस्तकें एवं बदियां तथा अधिगम परिणामों में सुधार हेतु सहायता प्रदान करना शामिल है। सभी व्यक्ति को अपने जीवन की बेहतरी का अधिकार है। लेकिन दुनियाभर में बहुत सारे बच्चे इस अवसर के अभाव में ही रह जाते हैं क्योंकि उन्हें प्राथमिक शिक्षा जैसे मूलभूत अधिकार भी मुहैया नहीं कराई जा रही है।

सर्व शिक्षा अभियान सरकार के एक महत्वकांक्षी योजना है। शिक्षा अभियान के घोषित लक्ष्य के अनुसार एक निश्चित समय सीमा के अंदर सभी बच्चों का शत-प्रतिशत नामांकन ठहराव तथा गुणवत्ता युक्त प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना है साथ ही सामाजिक विषमता तथा लिंग भेद को भी दूर करना है

सर्व शिक्षा अभियान को “सभी के लिए शिक्षा” अभियान के नाम से भी जाना जाता है। अथवा प्रत्येक व्यक्ति एक को पढ़ाएं भी कहा जाता है। यह भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक अनुकरणीय कार्यक्रम के रूप में 2000 – 2001 में आरंभ की गई थी। योजना 2010 तक 6 से 14 वर्ष के आयु समूह में सभी बच्चों को उपयोगी तथा सार्थक प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए बनाई गई थी। इस कार्यक्रम का आरंभ करने की प्रेरणा वर्ष 1993 – 1994 में शुरू किए गए जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम ( District Primary Education Program ( DPEP) ) से मिला है। इसके अंतर्गत 18 राज्य को सम्मिलित किया गया था। इसके आंशिक सफलता को देख केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सम्मिलित करते हुए सर्व शिक्षा अभियान नाम की समावेशी और एकीकृत कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके अंतर्गत कक्षा 1 से 8 के सार्वभौमिक सुनिश्चित करते हुए सभी बच्चों के लिए 1 से 8 कक्षा तक के निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसमें इस बात पर जोर दिया गया इस शनिवार शिक्षा के लिए स्कूल बच्चों के घर के समीप हो तथा 14 वर्ष तक बच्चे स्कूल में छोड़े।

सर्व शिक्षा अभियान प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण से संबंधित एक प्रमुख कार्यक्रम है।

इसके अंतर्गत निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किए गए थे

  1. 2007 तक 5 वर्ष की आयु वाले सभी बच्चों के प्राथमिक शिक्षा पूरी करवाना तथा 2010 तक 8 वर्ष की आयु वाले सभी बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा पूरी करवाना
  2. शिक्षा पर बल देते हुए संतोषजनक गुणवत्ता की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना।
  3. 2010 तक प्रारंभिक शिक्षा स्तर पर आने वाली सभी लिंग संबंधी और सामाजिक श्रेणी के अंतराल को समाप्त करना
  4. विद्यालय शिक्षा क्रांति केंद्रों अभियान द्वारा वर्ष 2005 तक सभी बच्चों को विद्यालय में लाना।                                                                            इन लक्ष्यों को प्राप्ति के लिए ऐसी कार्य नीतियां बनाई गई जिसमें प्रखंड स्तर के संसाधन केंद्रों की स्थापना हेतु स्थानीय समुदाय समूह एवं संस्थागत क्षमता निर्माण को सक्रिय रूप में शामिल किया। इस अभियान की रूपरेखा में शिक्षकों की नियुक्ति  उनका प्रशिक्षण माता-पिता तथा बच्चों को प्रेरित करना छात्रवृत्ति पोशाक पाठ्य पुस्तकें आदि प्रोत्साहन के प्रावधान शामिल थे

इस  कार्यक्रम के अंतर्गत उन क्षेत्रों में नए विद्यालय खुलने का भी लक्ष्य रखा गया जहां विद्यालयी सुविधाएं कम है। इसमें अतिरिक्त कक्षाओं शौचालय आदि का निर्माण करने एवं पेयजल सुविधाएं आदि उपलब्ध कराने संबंधी प्रधानों के माध्यम से विद्यालय मूल संरचना को सुदृढ़ करने का भी लक्ष्य रखा गया था।

इस अभियान में ना केवल 99% बच्चों की प्राथमिक स्कूल में भागीदारी बढ़ाई है बल्कि 6 से 14 वर्ष के बच्चों को स्कूल छोड़कर जाने से भी रोका है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत विशेषकर बालिकाओं पिछड़ी जाति जनजाति के बच्चों और गरीब बच्चों पर ध्यान दिया जाता है।

सर्व शिक्षा अभियान की विशेषताएं :-

  1. स्कूल दाखिला अनुपात में काफी वृद्धि हुई
  2. 2001 में विद्यालय नहीं जाने वाले बच्चों की संख्या 32 थी जो 2005 में घटकर 9600000 हो गई
  3. 2001 के बाद लगभग 200000 नए स्कूल खोले गए हैं और लगभग 500000 में शिक्षकों की नियुक्ति की गई।
  4. कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले सभी लड़कियां एवं अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लगभग 6 करोड़ बच्चों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें वितरित की गई।

इस तरह सर्व शिक्षा अभियान के फल स्वरुप विद्यालय छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में भारी कमी लाने में सफलता प्राप्त हुई। लेकिन 2010 तक सर्व शिक्षा अभियान का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया इसलिए केंद्र सरकार ने सर्वे शिक्षा अभियान को और अधिक प्रभावशाली बनाने के उद्देश्यों के साथ 2010 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया इस अधिनियम में सर्व शिक्षा अभियान के सभी लक्ष समाहित हैं।

RMSA राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान एक केंद्र प्रायोजित योजना है जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा माध्यमिक शिक्षा के विकास के लिए पूरे देश में मार्च 2009 में लागू किया गया। सभी के लिए कौशल विकास की शर्तें प्रदान करने के लिए योजना का कार्यान्वयन 2009 2010 से शुरू हुआ। इस योजना में एक बहुआयामी अनुसंधान तकनीकी परामर्श विभिन्न कार्यान्वयन और धन सहायता शामिल है।

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के लक्ष्य :-

 

  1. माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना
  2. विद्यालयों में कुल नामांकन दर 52 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 वर्षों 2000 14 तक में 75 पर्सेंट करना
  3. इसका मुख्य उद्देश सभी बच्चों के लिए सार्वभौमिक शिक्षा प्रदान करना है।
  4. शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना।
  5. सभी माध्यमिक विद्यालय को निर्धारित मानदंडों के अनुरूप बनाना।
  6. विद्यालय में लिंग सामाजिक आर्थिक और विकलांगता की बाधाओं को दूर करना।
  7. 2017 तक माध्यमिक स्तर की शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करना
  8. 2020 तक छात्रों के सार्वभौमिक अवधारण

इस योजना में ध्यान विभिन्न असमानता ओं को कम करने के लिए दिया गया था। जो व्यवसायिक और रोजगारोनमुखी पाठ्यक्रमों को महत्त्व देते हुए पाठ्यक्रम को नवीनीकृत कर सके। या खुली शिक्षा प्रणाली शिक्षक प्रशिक्षण और ict के विस्तार और विविधता लाने को भी महत्व देता है। लड़कियों के लिए निशुल्क शिक्षा और छात्रावास की सुविधा और विकलांग बच्चों के लिए एकीकृत शिक्षा को भी उजागर किया गया। उन बच्चों के लिए अवसर प्रदान किए गए जो संपर्क केंद्र और मल्टीमीडिया पैकेजो  का उपयोग करके राष्ट्रीय और राज्य मुक्त स्कूल के माध्यम से औपचारिक शिक्षा प्रणाली मैं नामांकित करवाने में सक्षम नहीं थे। इसमें केंद्र सरकार की वित्तीय मदद से शिक्षा के सामग्री प्रक्रिया और शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष रूप से पर्यावरण शिक्षा विज्ञान गणित और कंप्यूटर साक्षरता पर जोर दिया गया। इस योजना में ICT मैं कंप्यूटर शिक्षा और स्कूलों में साक्षर और शैक्षिक प्रौद्योगिकी जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाएं शामिल है। जो छात्र को सूचना प्रौद्योगिकी से परिचित कराती है।

ये भी पढ़े

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *