लैंगिक विभेद का अर्थ , परिभाषा | लैंगिक विभेद का महत्व

परिचय:

लैंगिक विभेद का अर्थ है कि एक समाज में लोगों को उनके लिंग (जनन जाति) के आधार पर विभाजित किया जाता है और उन्हें विभिन्न भूमिकाओं, समाजिक अधिकारों और सामाजिक स्थानों के साथ जोड़ा जाता है। यह विभेद पुरुषों और महिलाओं के बीच संबंध और समाजी जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डालता है।

लैंगिक विभेद सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, और मनोवैज्ञानिक मानदंडों द्वारा स्थापित किया जा सकता है और यह समाज में विभिन्नताओं और असमानताओं का कारण बन सकता है। लैंगिक विभेद का परिणाम सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से पुरुषों और महिलाओं के बीच सामान्य भूमिका की स्थापना होता है, जहां सामाजिक पदों, स्थानों, संपत्तियों, स्वतंत्रता, और अवसरों का वितरण भेदभावपूर्ण होता है।

लैंगिक विभेद का अर्थ

लैंगिक विभेद का परिभाषा

लैंगिक विभेद का अर्थ होता है कि समाज में मनुष्यों को उनके लिंग (जनन जाति) के आधार पर विभाजित किया जाता है और उन्हें भूमिकाओं, समाजिक पदों और स्थानों के साथ जोड़ा जाता है। यह संघर्ष, असमानता और अवसरों के भंग का कारण बन सकता है, और महिलाओं और पुरुषों के बीच सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव पैदा कर सकता है।

लैंगिक विभेद लोगों को किस प्रकार विभाजित करता है

लैंगिक विभेद मनुष्यों को उनके लिंग (जनन जाति) के आधार पर विभाजित करता है और उन्हें विभिन्न भूमिकाओं, समाजिक पदों और स्थानों के साथ जोड़ता है। इससे पुरुषों और महिलाओं के बीच सामाजिक असमानता पैदा हो सकती है और वे अलग-अलग सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों के दायरे में रहते हैं। सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंडों द्वारा लैंगिक भूमिकाओं का तय किया जाता है, जिससे लोगों के जीवन में विभाजन होता है और उन्हें अलग-अलग अवसरों और सुविधाओं का उपयोग करने में असमानता हो सकती है।

लैंगिक विभेद का सामाजिक प्रभाव

लैंगिक विभेद का सामाजिक प्रभाव महत्वपूर्ण है। इससे पुरुषों और महिलाओं के बीच सामाजिक संबंधों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और समाज में असमानता के कारण विभिन्न परिणाम सामने आ सकते हैं।

  1. सामाजिक भूमिकाओं का विभाजन: लैंगिक विभेद से महिलाओं को निर्धारित भूमिकाओं में सीमित किया जाता है, जैसे घरेलू कार्य, मातृत्व आदि। इसके परिणामस्वरूप, महिलाएं पुरुषों के मुकाबले सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मंचों पर कम प्रभाव डालती हैं।
  2. सामाजिक और आर्थिक असमानता: लैंगिक विभेद के कारण समाज में महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक अवसरों से वंचित किया जाता है। वे अधिकांश अधिकार, संपत्ति, और व्यापारिक अवसरों में पुरुषों की तुलना में पीछे रहती हैं।
  3. समाज में भूमिकाओं का विभाजन: लैंगिक विभेद के चलते सामाजिक और राजनीतिक पदों में महिलाओं का अभाव देखा जाता है। उन्हें नेतृत्व, न्यायिक पद, और संगठनात्मक मंचों में पुरुषों की तुलना में कम विश्वास दिया जाता है।

पुरुष और महिलाओं के बीच संबंध पर प्रभाव

  1. संबंधों में सामान्य भूमिका: लैंगिक विभेद के कारण सामाजिक मान्यताओं के अनुसार, पुरुषों को सामाजिक और पारिवारिक संरचनाओं में अधिकारी भूमिका दी जाती है। महिलाओं को अक्सर गृहनी, मातृ, और परिवारिक कार्यों में बाध्यताएं मिलती हैं।
  2. निर्धारित भूमिकाएं: पुरुषों को सामाजिक और आर्थिक पदों में अधिक नियुक्ति मिलती है, जबकि महिलाओं को निर्धारित सीमित भूमिकाएं दी जाती हैं। इसके कारण महिलाएं पुरुषों के मुकाबले कम नेतृत्व और न्यायिक पदों में प्रतिष्ठा प्राप्त करती हैं।
  3. व्यक्तिगत स्वतंत्रता: पुरुषों को अक्सर अधिक स्वतंत्रता और निर्णयों की स्वतंत्रता मिलती है, जबकि महिलाओं को निर्धारित सामाजिक मर्यादाओं में रहना पड़ता है। यह प्रभाव महिलाओं के स्वतंत्रता, स्वाधीनता, और व्यक्तिगत विकास पर असर डालता है।

लैंगिक विभेद के कारण समाज में भूमिकाओं और स्थानों के विभाजन

  1. पारिवारिक भूमिका: महिलाओं को अक्सर घरेलू कार्यों, बच्चों की देखभाल, और परिवार के संचालन में जिम्मेदारी मिलती है। पुरुषों को अधिकांशतः कार्यालय, व्यापारिक, या आर्थिक क्षेत्र में कार्य करने की प्राथमिकता दी जाती है।
  2. शिक्षा और करियर: पुरुषों को शिक्षा और करियर में अधिक अवसर मिलते हैं। इसके परिणामस्वरूप, उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति महिलाओं की तुलना में सुदृढ़ होती है।
  3. सार्वजनिक और न्यायिक पद: सामाजिक मान्यताओं के चलते, पुरुषों को सार्वजनिक और न्यायिक पदों में अधिक नियुक्ति मिलती है। इससे महिलाओं की सार्वजनिक प्रतिस्था और न्यायिक वक्तव्य में कमी हो सकती है।
  4. सामाजिक गतिविधियाँ: महिलाओं को अक्सर सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में पुरुषों की तुलना में कम पहचान मिलती है। पुरुषों को अधिकांशतः सार्वजनिक स्थानों, धार्मिक संगठनों, और राजनीतिक मंचों में बढ़ावा मिलता है।

gender equality in the workplace

लैंगिक विभेद में सामाजिक और आर्थिक असमानता के कारण

  1. पारंपरिक मान्यताएं: सामाजिक मान्यताओं के चलते, महिलाओं को अक्सर पुरुषों के साथ तुलना में कम अवसर मिलते हैं। इससे उनके आर्थिक विकास और स्वतंत्रता पर प्रतिबंध हो सकता है।
  2. शिक्षा और प्रशिक्षण की असमानता: महिलाओं को शिक्षा और प्रशिक्षण में अधिक बाधाएं और सीमाएं मिलती हैं। इसके कारण उनके पास अच्छे करियर और वृद्धि के अवसरों की कमी होती है।
  3. भुगतान असमानता: महिलाओं को अक्सर पुरुषों के मुकाबले कम वेतन और मान्यता मिलती है। यह आर्थिक असमानता बढ़ा सकता है और उनकी आर्थिक स्थिति में असमानता उत्पन्न कर सकता है।
  4. स्थानिक असमानता: महिलाओं को सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक मंचों में पुरुषों की तुलना में कम पहचान मिलती है। यह स्थानिक असमानता उनके सामाजिक और आर्थिक विकास को रोक सकता है।

लैंगिक विभेद में निवारण के प्रयास

  1. शिक्षा का प्रशासनिक और व्यावसायिक स्तर पर समान वितरण: महिलाओं को उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए समान अवसर देने के लिए सरकारों, संगठनों, और समाज को साथ मिलकर काम करना चाहिए।
  2. भुगतान समानता: समान कार्य के लिए महिलाओं को समान वेतन और भुगतान प्राप्त होना चाहिए। नियमित मूल्यांकन, संगठनिक संरचना में परिवर्तन, और कानूनी संरक्षण के माध्यम से यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
  3. सामाजिक एवं राजनीतिक संरचना में परिवर्तन: समाज में सामाजिक और राजनीतिक संरचनाओं में परिवर्तन करके महिलाओं को अधिक प्रतिस्था और समानता के अवसर प्रदान करना चाहिए।
  4. संगठनों की सामाजिक संरचना में परिवर्तन: व्यापार, संगठन, और सरकारी संस्थानों में महिलाओं के पहुंच, पदों की वितरण, और निर्णय लेने में समानता प्रदान करना चाहिए।
  5. संजालों और उद्योगों में महिलाओं के लिए सुविधाएं: संजालों और उद्योगों को महिलाओं के लिए सुविधाएं और नीतियों को विकसित करने की आवश्यकता है ताकि महिलाएं पेशेवर क्षेत्र में सक्रिय रूप से भाग ले सकें।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 

सामाजिक बदलाव और संज्ञान के माध्यम से लैंगिक विभेद के खिलाफ लड़ाई

  1. जागरूकता कार्यक्रम: सामाजिक संगठनों और अभियांत्रिकी माध्यमों के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में लोगों को लैंगिक समानता के महत्व पर जागरूक किया जाता है और उन्हें लैंगिक विभेद के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है।
  2. शिक्षा और शिक्षाप्रद: महिलाओं और युवाओं को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाने का प्रयास किया जाता है। शिक्षा संसाधनों के समान पहुंच के साथ, लैंगिक समानता के मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया जाता है ताकि लोग समानता के पक्ष में जागरूक हो सकें।
  3. सामाजिक संगठनों की गतिविधियां: विभिन्न सामाजिक संगठनों और महिला संगठनों के माध्यम से लैंगिक विभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाती है। इन संगठनों द्वारा जागरूकता कार्यक्रम, प्रदर्शन, और सामुदायिक आंदोलन आयोजित किए जाते हैं जो सामाजिक परिवर्तन को प्रोत्साहित करते हैं।
  4. मीडिया की भूमिका: मीडिया माध्यमों के माध्यम से लैंगिक समानता के मुद्दों को प्रसारित किया जाता है। यहां जागरूकता कार्यक्रम, समाचार रिपोर्टिंग, टीवी शो और फ़िल्मों के माध्यम से महिलाओं की सक्रियता और पुरुष-महिला संबंधों को समर्थन किया जाता है।

समानता, स्वतंत्रता और अवसरों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता

  1. जागरूकता और शिक्षा: जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से समाज को समानता, स्वतंत्रता और अवसरों की महत्वपूर्णता के बारे में जागरूक करना चाहिए। शिक्षा के माध्यम से भी समानता और स्वतंत्रता के मानदंडों की प्राथमिकता पर जोर देना चाहिए।
  2. कानूनी संरक्षण: लैंगिक समानता, स्वतंत्रता और अवसरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कानूनी संरक्षण अवश्य देना चाहिए। यह लैंगिक हिंसा, छेड़छाड़, और लैंगिक विभेद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शामिल करता है।
  3. सामाजिक और आर्थिक समर्थन: समानता, स्वतंत्रता और अवसरों की सुरक्षा को प्राप्त करने के लिए आर्थिक और सामाजिक समर्थन की आवश्यकता होती है। समाज को समानता के पक्ष में आगे आने के लिए आर्थिक सहायता, व्यावसायिक अवसरों की पहुंच, और अधिकारों की सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
  4. सामुदायिक संगठनों का सहयोग: सामाजिक संगठनों को समानता, स्वतंत्रता और अवसरों की सुरक्षा के पक्ष में एकजुट होना चाहिए। इन संगठनों के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाई जा सकती है और सुरक्षा के लिए मांग प्रदर्शित की जा सकती है।

लैंगिक विभेद का महत्व

  1. सामाजिक संरचना: लैंगिक विभेद सामाजिक संरचना को निर्धारित करता है। यह पुरुष और महिलाओं के बीच रोल, कर्तव्य, और जिम्मेदारी में अंतर पैदा करता है।
  2. आर्थिक और सामाजिक स्थिति: लैंगिक विभेद के कारण, लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में असमानता उत्पन्न होती है। महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदायों को अवसरों और संसाधनों की पहुंच में रोक लगती है।
  3. मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य: लैंगिक विभेद द्वारा, लोगों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। अधिकारों की हानि, छेड़छाड़, और दबाव लैंगिक विभेद के परिणामस्वरूप होते हैं।
  4. सामरिकता और विकास: लैंगिक विभेद ने सामरिकता और विकास को असंगठित किया है। इसके कारण, समाज के सभी सदस्यों का पूर्णता और प्रगति में समर्पण होने की क्षमता प्रभावित होती है।

सामाजिक और मानवाधिकारों के साथ इसका प्रभाव

  1. समानता के प्रति उल्लेखनीय प्रतिबंध: लैंगिक विभेद से, समाज में समानता के प्रति उल्लेखनीय प्रतिबंध बने रहते हैं। यह महिलाओं, अल्पसंख्यकों और लैंगिक माइनॉरिटीज़ के अधिकारों और सुरक्षा की उपेक्षा करता है।
  2. आत्म-न्याय और आत्म-सम्मान की हानि: लैंगिक विभेद से आत्म-न्याय और आत्म-सम्मान की हानि होती है। यह लोगों को उनकी वाणी, पहचान और स्वतंत्रता के प्रति रोकता है और उन्हें अपने पूर्ण पोटेंशियल को साकार करने से रोकता है।
  3. छेड़छाड़, हिंसा और शोषण: लैंगिक विभेद के कारण, छेड़छाड़, हिंसा और शोषण की घटनाएं बढ़ जाती हैं। महिलाओं, अल्पसंख्यकों और लैंगिक माइनॉरिटीज़ को असुरक्षित महसूस करना पड़ता है और उन्हें न्याय के लिए लड़ना पड़ता है।
  4. अवसरों की कमी: लैंगिक विभेद के कारण, लोगों के लिए अवसरों की कमी होती है। महिलाओं और अल्पसंख्यकों को उच्च शिक्षा, रोजगार, व्यापारिक अवसर और आर्थिक स्वावलंबन के लिए अधिक प्रयास करना पड़ता है।

लैंगिक विभेद के खिलाफ लड़ाई की आवश्यकता

  1. समानता की मांग: लैंगिक विभेद के खिलाफ लड़ाई की आवश्यकता है क्योंकि हमें समानता की मांग करनी है। हर व्यक्ति को समान अवसरों, अधिकारों और स्वतंत्रता का हक़ होना चाहिए, चाहे वह पुरुष हो या महिला।
  2. न्याय और इंसाफ की मांग: लैंगिक विभेद के खिलाफ लड़ाई की आवश्यकता होती है क्योंकि हमें न्याय और इंसाफ की मांग करनी है। हमें छेड़छाड़, उत्पीड़न, और भेदभाव के खिलाफ खड़ा होना चाहिए और सभी व्यक्तियों के लिए सामान्य और न्यायसंगत शर्तें बनानी होंगी।
  3. समाजिक परिवर्तन की आवश्यकता: लैंगिक विभेद के खिलाफ लड़ाई की आवश्यकता है क्योंकि हमें समाजिक परिवर्तन की आवश्यकता होती है। हमें समाज में जागरूकता फैलानी होगी, दलित, अल्पसंख्यक और महिला अधिकारों की सुरक्षा के लिए लड़नी होगी और समानता और समरसता की ओर प्रगति करनी होगी।

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