ज्ञान के स्रोत की विवेचना करें | Gyaan ke srot kee vivechana karen

Q . ज्ञान के स्रोत की विवेचना करें । (Gyaan ke srot kee vivechana karen.)

Ans. (Gyaan ke srot kee vivechana karen) ज्ञान विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है। स्रोत मनुष्य से, उसकी कार्यप्रणाली से तथा अन्य वाह्य माध्यमों से सम्बन्धित हैं। प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं Discuss the sources of Knowledge.

1. इन्द्रिय अनुभव (Sensory Experience)

हमारे ज्ञान का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत इन्द्रियानुभव हैं। हम अवलोकन, श्रवण, छूकर, अपनी चमड़ी से महसूस करके तथा स्वाद के द्वारा ज्ञान प्राप्त करते हैं। इन्द्रियों की सहायता से प्राप्त किए गए ज्ञान को इन्द्रिय ज्ञान कहा जाता है। यह ज्ञान स्थायी ज्ञान बन जाता है। यह स्रोत प्राथमिक तथा वास्तविक है। इसमें ज्ञान में बोध सम्मिलित होता है परन्तु इन्द्रियों की सहायता से वस्तुओं का बोध नहीं किया जा सकता। इन्द्रिय बोध में हम केवल वस्तुओं के चेतन स्वरूप के बारे में जान पाते हैं, जो मन की प्रतीक होती है, न कि यह कि वे वस्तुएँ स्वयं में क्या है।

2. तर्क (Reasoning)-

तर्क ज्ञान का द्वितीय स्रोत हैं। तर्क की सहायता से प्रत्येक व्यक्ति अनुभव प्राप्त करता है और धीरे-धीरे यह ज्ञान बन जाता है। अनुभवों का हमारा संसार तथ्यों के क्रम या प्रकृति पर निर्भर करता है, जैसा हम उन्हें देखते हैं, उनका प्रारूप हमारी बौद्धिक शक्ति पर निर्भर करता है, इसके विपरीत नहीं जैसा अनुभववादी मानते हैं। तर्क बुद्धि की ओर संकेत करता है। बुद्धि का कार्य कल्पना करना, सोचना, विचारना व तर्क देना है। तर्क मानसिक एवं बौद्धिक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के माध्यम से मनुष्य अपना कोई मत बनाता है या किसी निष्कर्ष पर पहुँचता है। इसका उद्देश्य सूझ-बूझ के निर्णयों का एकीकरण है। अतः तर्क विचार उत्पन्न करता है तथा उसी समय कारण सम्बन्धी नियम देता है। मुनष्य अपनी बौद्धिक शक्ति के कारण एक स्वतंत्र एजेण्ट है, वह कार्य प्रारम्भ करता है और जब ये कार्य मन के द्वारा किए जाते हैं तो वे कारणों के एक जाल में बुन जाते हैं और उनका प्रभाव विचार, शिक्षा तथा ज्ञान के रूप में होता है।

3. अधिकारी (Authority)—

 

अधिकारी भी शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। कुछ व्यक्ति, जैसे – अर्थशास्त्री, वैज्ञानिक, इंजीनियर, शिक्षाशास्त्री, समाजशास्त्री, मनोवैज्ञानिक गणितशास्त्री आदि अपने-अपने क्षेत्र के विशेष होते हैं। विभिन्न वैज्ञानिक अपने प्रयोगों के आधार पर अपने नियमों और सिद्धान्तों के अधिकारी बन जाते हैं। कुछ समय पश्चात् उनके  नियम सार्वभौमिक बन जाते है। शिक्षा में प्राथमिक स्तर पर विद्यार्थियों को निर्देश देने में शिक्षक अधिकारी होता है, परन्तु उच्च स्तर पर विद्यार्थी उसके अनुदेशन को मानने के लिए तर्क करते हैं, क्योंकि इस सतर पर उनकी तर्क शक्ति का विकास हो जाता है।

4. अन्तः प्रज्ञा (Intution)-

ज्ञान का एक अन्य महत्त्वपूर्ण स्रोत है- अन्तः प्रज्ञा अन्तः प्रज्ञा हमें हमारा सिद्धान्त या आधारभूत प्रमाण देते हैं जिसके आधार पर हम विश्व के तार्किक सिद्धान्त का निर्माण करते हैं। हम स्वतन्त्रता के बारे में या उस अमूर्त के बारे में जागरूक हो जाते हैं। वास्तविकता के आन्तरिक अर्थ को प्रकृति में जीवन्त तत्त्व को वैज्ञानिक बोध से नहीं जाना जा सकता। यह न तो इन्द्रियों से, न तर्क से, न व्यक्तिगत अनुभव जो कि दोहराये जा सकें, से सम्बन्धित है और न ही इसकी वैज्ञानिक रूप से पुष्टि हो सकती है। ज्ञान के अन्य स्रोत अनुभव प्रयोग श्रुति आदि हैं।

इन्हें भी देखें

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