Idealism | आदर्शवाद किया है

आदर्शवाद शिक्षा और दर्शन का एक आध्यात्मिक अर्थ है जिसमें बालक के अंदर आदर्श रहित निहित विचारों का समावेश है। आदर्शवाद / Idealism वह विचारधारा है जिसमें प्रकृति के सृष्टि के विचारों से बालकों को अवगत कराया जाता है। आदर्शवाद बच्चों के सद्गुण अनेकता में एकता नैतिकता एवं आध्यात्मिक प्रकृति का अध्ययन है आदर्शवाद ज्ञानेंद्रियों के बजाय मनुष्य के मस्तिष्क के विचारों का अध्ययन है

Idealism |आदर्शवाद का अर्थ

आदर्शवाद (Idealism) एक दार्शनिक दृष्टिकोण है जो मानता है कि वास्तविकता का मूल तत्व भौतिक नहीं, बल्कि मानसिक, आत्मिक या आध्यात्मिक है। आदर्शवादी यह विश्वास रखते हैं कि विचार, चेतना और मानसिक अवस्थाएँ वास्तविकता की प्राथमिक इकाइयाँ हैं, और भौतिक दुनिया या तो मानसिक दुनिया की तुलना में द्वितीयक है या स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में नहीं है। आदर्शवाद के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से प्रत्येक वास्तविकता और मन के स्वभाव पर अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

Idealism

 

आदर्शवाद की विशेषताएं

1. आत्म अनुभूति

:-आदर्शवाद के अनुसार व्यक्ति के अंदर आत्म अनुभूति का अथवा आत्मा प्रकाशन का बोध कराना है। जिसमें बालक के व्यक्ति के सृष्टि के भौतिक स्वरूप का परिचय है। जिस व्यक्ति के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक आत्म अनुभूतियों से अवगत कराना है।

2. स्व का निर्माण

:- स्व  के निर्माण में आत्म अनुभूति द्वारा बालकों में सत्यम शिवम सुंदरम की खोज करना एवं बालकों को उससे परिचित कराना है बालकों का स्व का निर्माण करवाना कहलाता है। स्व  का निर्माण के तहत बालक अपने विद्यालयी वातावरण का सुचारू रूप से निर्माण करता है।

3. चरित्र का निर्माण

:- आदर्शवाद के अनुसार बालकों में अध्यात्म एवं धर्म के द्वारा बालकों में चरित्र का निर्माण ही उद्देश्य है।

4. व्यक्तित्व का विकास

:- आदर्शवाद के अनुसार बालक के व्यक्तित्व का उत्कर्ष की आत्म अनुभूति अथवा उसके वास्तविक क्षमताओं का निर्माण ही बालक के व्यक्तित्व का निर्माण है।

5. सांस्कृतिक विकास के समृद्धि

:- आदर्शवाद के  अनुसार शिक्षा का दूसरा उद्देश्य सांस्कृतिक विकास के समृद्धि करना है । आदर्शवाद मनुष्य के अध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत पर बहुत बल देता है। जिसमें धर्म , कला , साहित्य , गणित , विज्ञान , मनोविज्ञान , नैतिक शास्त्र सौंदर्यत्मक विज्ञान , शरीर विज्ञान , कौशल आदि कार्यों के परिणामों को निहित किया जाता है।

6. चेतना के पूर्व दशा की प्राप्ति

:- आदर्शवाद के अनुसार व्यक्ति के विचारों नैतिक मूल्यों तथा नियमों की खोज है। जो व्यक्ति के पूर्ण चेतन अवस्था में सिखलाने का कार्य करती है। जिसमें ऐसे तर्कपूर्ण चिंतन कल्पनाओं को बतलाया है जो आदर्शवाद के विचारों को सहमत करता है।

7. पवित्र जीवन की प्राप्ति

:- आदर्शवाद के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य शांतिपूर्ण पवित्र कलंक रहित और पवित्र जीवन की उपलब्धि है शिक्षा को मनुष्य का पथ प्रदर्शन इस प्रकार करना चाहिए कि उसे अपने आप का प्रकृति का सामना करने का और ईश्वर से एकता स्थापित करने का स्पष्ट ज्ञान देता है।

8. विश्व बंधुत्व की भावना का विकास

:- आदर्शवाद के अनुसार बालकों में शिक्षा द्वारा विश्व बंधुत्व किए भावना का विकास करना है।

आदर्शवाद के प्रकार

आदर्शवाद (Idealism) एक दार्शनिक दृष्टिकोण है जो विचारों, चेतना, और मानसिक अवस्थाओं को प्राथमिक वास्तविकता मानता है। आदर्शवाद के कई प्रकार हैं, जो विभिन्न दृष्टिकोणों और मान्यताओं पर आधारित होते हैं। यहाँ आदर्शवाद के प्रमुख प्रकारों का विवरण दिया गया है:

मूर्तिकला आदर्शवाद (Platonic Idealism)

  • मुख्य सिद्धांत: प्लेटो ने तर्क दिया कि हमारे आस-पास की भौतिक दुनिया एक आदर्श रूपों (Forms) की प्रतिछाया मात्र है। ये रूप आदर्श और अपरिवर्तनीय होते हैं।
  • उदाहरण: किसी भी भौतिक कुर्सी का आदर्श रूप केवल एक आदर्श कुर्सी का प्रतिरूप है। इस आदर्श रूप को केवल मस्तिष्क में ही अनुभव किया जा सकता है।

2. सम्पूर्ण आदर्शवाद (Absolute Idealism)

  • मुख्य सिद्धांत: हेगेल के अनुसार, सम्पूर्ण वास्तविकता एक समग्र इकाई (Absolute) है जो तर्कसंगत प्रक्रिया के माध्यम से विकसित होती है। हर घटना और वस्तु इस समग्र इकाई का भाग होती है।
  • उदाहरण: कोई भी ऐतिहासिक घटना या व्यक्तिगत अनुभव सम्पूर्ण तर्कसंगत प्रणाली का एक हिस्सा है और इसे सम्पूर्णता में समझा जा सकता है।

3. आत्म-आदर्शवाद (Subjective Idealism)

  • मुख्य सिद्धांत: जॉर्ज बर्कले का आत्म-आदर्शवाद मानता है कि वस्तुओं का अस्तित्व केवल उनके अनुभव से होता है। यदि कोई वस्तु अनुभव में नहीं है, तो उसका अस्तित्व नहीं है।
  • उदाहरण: जब हम एक वृक्ष को देखते हैं, तब ही उसका अस्तित्व होता है। यदि कोई भी उसे नहीं देख रहा है, तो वह वृक्ष अस्तित्व में नहीं है।

4. आलेखित आदर्शवाद (Objective Idealism)

  • मुख्य सिद्धांत: शेलिंग का आदर्शवाद मानता है कि विचार और चेतना वस्तुनिष्ठ होते हैं और यह किसी व्यक्तिगत चेतना से परे हैं।
  • उदाहरण: प्राकृतिक नियम और तर्कसंगत सिद्धांत हमारी व्यक्तिगत चेतना से स्वतंत्र हैं और ये सम्पूर्ण ब्रह्मांड के लिए सही हैं।

5. सामाजिक आदर्शवाद (Social Idealism)

  • मुख्य सिद्धांत: सामाजिक आदर्शवाद सामाजिक और नैतिक मूल्यों को प्रमुखता देता है। इसका उद्देश्य समाज में न्याय, समानता, और सामूहिक कल्याण को स्थापित करना है।
  • उदाहरण: एक समाजवादी दृष्टिकोण, जिसमें हर व्यक्ति की जरूरतों का ध्यान रखा जाता है और सभी के लिए समान अवसर प्रदान किए जाते हैं।

6. एथिकल आदर्शवाद (Ethical Idealism)

  • मुख्य सिद्धांत: एथिकल आदर्शवाद नैतिकता को सर्वोच्च मानता है। यह मानता है कि नैतिक आदर्श ही वास्तविकता का आधार हैं और इन्हें प्राप्त करना हर व्यक्ति का उद्देश्य होना चाहिए।
  • उदाहरण: गाँधीजी का सत्य और अहिंसा पर आधारित जीवन, जहाँ नैतिकता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है।

7. विज्ञान आदर्शवाद (Transcendental Idealism)

  • मुख्य सिद्धांत: इमैनुएल कांट ने तर्क किया कि हमारी संवेदनशीलता और मानसिक संरचनाएँ हमारी वास्तविकता की समझ को आकार देती हैं। हम वस्तुओं को उनके स्वयं के स्वरूप में नहीं, बल्कि अपनी धारणाओं के माध्यम से समझते हैं।
  • उदाहरण: हमारी दृष्टि, श्रवण, और अन्य संवेदी उपकरण वास्तविकता को एक विशिष्ट रूप में समझते हैं, लेकिन वस्तुएं स्वयं में कैसी होती हैं, यह हम नहीं जान सकते।

आदर्शवाद के अनुसार शिक्षा का पाठ्यक्रम

आदर्शवाद के अनुसार पाठ्यक्रम के विषय में निम्नलिखित कुछ विचार दिए गए हैं जो इस प्रकार है।

  1. पाठ्यक्रम के आधार जीवन के सर्वोच्च आदर्श होने चाहिए।
  2. इसे सभ्यता एवं संस्कृति का प्रतिबिंब होना चाहिए।
  3. इसे मानव जाति के अनुभवों को व्यक्त करना चाहिए।
  4. इसे मानव जाति के अनुभवों का प्रतीक होना चाहिए और संगठित रूप में सामाजिक वातावरण पाठ्यक्रम के विभिन्न विज्ञान और मानव शास्त्रों को स्थान दिया जाता है।

पाठ्यक्रम में आदर्शवादियों के अनुसार निम्न विषय होने चाहिए

मानसिक क्रियाएं ,  भाषा साहित्य , इतिहास , भूगोल , विज्ञान , कला एवं कविताएं , धर्म , अध्यात्म शास्त्र , शारीरिक स्वास्थ्य , समजिक , नैतिक व धार्मिक क्रियाएं , गणित , विज्ञान , संगीत , दस्तकारी , ललित ,  कला आदि।                                                                 बालकों को आदर्शवादियों के अनुसार निश्चित प्रकार के विषयों से संबंधित प्रशिक्षण दिए जाने के बात आदर्शवादियों ने खेल शास्त्र ( Play way Method ) Exercise आदी को जोड़ा है।

आदर्शवादियों के अनुसार शिक्षण विधियां

:- आदर्शवादियों का विश्वास है कि यदि हमारे लक्ष्य स्पष्ट और निश्चित है तो हम बालकों की रूच और योग्यता के अनुसार विधि की खोज सरलता से कर सकते हैं। इसलिए विभिन्न आदर्शवादियों ने विभिन्न प्रकार के शिक्षण विधियों की चर्चा की है। जिसमें लॉजिक मेथड तर्क विधि निर्देशन विधि वाद विवाद विधि व्याख्यान विधि खेल विधि अभ्यास एवं पुनरावृति विधि इत्यादि।

आदर्शवादियों के अनुसार शिक्षक

:- आदर्शवाद शिक्षक को बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान देता है। इसके अनुसार शिक्षक विद्यालय का बाग है। और छात्र कोमल पौधे हैं। शिक्षक कुशल माली है जो प्रत्येक पौधों को स्वयं सोचता है और बालकों में उन कुशलताओं का विकास करता है जिसकी आवश्यकता बालकों के लिए होती है। शिक्षक ज्ञानी एवं कला का मार्गदर्शक होते हैं। इसलिए वह बालकों का उत्तम विकास करता है। आदर्शवादियों के अनुसार शिक्षक प्रकृति रुपी बालकों को अपने प्रयासों से उत्तम स्थान देते हैं।

आदर्शवाद का बालक

:- आदर्शवाद शिक्षा का प्राकृतिक वादियों के अनुसार बाल केंद्रित नहीं मानते। आदर्शवादी शिक्षा के आदर्शों व विचारों को केंद्र स्थान देते हैं। उनके अनुसार शिक्षा का मुख्य कर्तव्य बालक में उच्च आदर्शों को प्राप्त करना है। वह पाठ्यक्रम के निर्माण का आधार भी है। उच्च आदर्श व विचार मानते हैं। इस प्रकार आदर्शवादी शिक्षा योजना विचारों को प्रमुख स्थान देते हैं और बालक को गौण स्थान देते हैं।

आदर्शवाद व अनुशासन

:- आदर्शवादियों का विश्वास है कि बालक का पूर्ण विकास तभी हो सकता है जब वह अनुशासन में रहें। अनुशासन में रहकर युवा आत्म अनुभूति या आध्यात्मिकता को प्राप्त कर सकते हैं। आदर्शवादियों का कहना है कि बालकों को कठोर दंड नहीं दिया जाता है बल्कि उनका स्व का विकास किया जाए। आदर्शवादियों का सिद्धांत अनुशासन के प्रति स्वतंत्रता की धारणा है।

आदर्शवाद व मूल्यांकन

: -आदर्शवाद शिक्षा में बालक के व्यक्तित्व का आदर किया जाता है। इसमें सत्यम शिवम सुंदरम को श्रेष्ठ रखा गया है जिसके फल स्वरुप बालकों में उत्तम चरित्र का निर्माण करता है। जिससे उनमें आत्म अनुभूति आत्मानुशासन और आत्म नियंत्रण का विकास होता है।

इन्हें भी देखें

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