Thoughts of Plato | थॉट्स ऑफ़ प्लूटो

Thoughts of Plato | थॉट्स ऑफ़ प्लूटो

Thoughts of Plato :-  प्लेटो यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक थे। सुकरात के शिष्य और अरस्तू के गुरु थे। इन तीनों दार्शनिकों ने मिलकर पश्चिमी संस्कृति का दार्शनिक आधार तैयार किया था उनका जन्म 428 – 427 BC में हुआ था। प्लेटो का जन्म स्थान का जन्म स्थान एथेंस के समीपवर्ती इजिना नामक दीप में हुआ था।

प्लेटो के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य

Thoughts of Plato

1. प्लेटो के अनुसार शिक्षा का प्रथम उद्देश्य था बालकों को राज्य शासक बनाना। जो कि उसमें राज्य के प्रति सहयोग की भावना पैदा करें।

2. शिक्षा का दूसरा उद्देश्य प्लेटो के अनुसार आदर्श नागरिकता का निर्माण व विकास अच्छे राष्ट्र के लिए एवं निर्माण के लिए अच्छे नागरिकों की आवश्यकता होती है आता यह आवश्यक है कि बालकों में राष्ट्र के प्रति अच्छी नागरिकता का विकास करें जिसमें संयम साहस एवं सैनिक कुशलता विकसित हो।

3. प्लेटो के अनुसार बालकों में शिक्षा के द्वारा बुद्धिमता IQ एवं विवेक को जागृत करना था जो बालक के युवावस्था मैं सही कार्य करने की चेष्टा करने का विकास हो।

4. प्लेटो के अनुसार शिक्षा का चौथा उद्देश्य है। बालकों में सत्यम शिवम के प्रति आस्था उत्पन्न करना। उसका मानना है कि बालक शिशु अवस्था है या जन्म अवस्था के समय वह अपने ज्ञानेंद्रियों का दास होता है। इसलिए आवश्यक है कि बालकों में शिक्षा द्वारा सत्यम शिवम सुंदरम की भावना उत्पन्न की जाए।

5. प्लेटो के अनुसार जीवन में अनेकानेक विरोधी तत्व विद्यमान रहते हैं। इन विरोधी तत्वों को पहचानना एवं इसमें संतुलन स्थापित करना शिक्षा का एक प्रमुख कार्य था।

6. प्लेटो के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य बालकों में अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण करना है अच्छा व्यक्तित्व संतुलित होता है। तथा वह स्वयं के नियंत्रण सेल्फ कंट्रोल में सहायक होता है। स्वनियंत्रित व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों में अनुकूल आचरण करता है। सामंजस किया योग्यता शिक्षा ही व्यक्ति में प्रदान करता है।

7. शिक्षा का अंतिम उद्देश्य मानव शिशु को मानव बनाना है। उसमें मानवता के गुणों का विकास करना।

प्लेटो के अनुसार शैक्षणिक पाठ्यक्रम

1. शारीरिक शिक्षा

:- बालक के शारीरिक विकास संबंधी पाठ्यक्रम को शामिल किया जाए। जैसे – Gymnastics , Exercise के अतिरिक्त पौष्टिक भोजन पर बल दिया है।

2. मस्तिष्क का विकास

:- प्लेटो ने पाठ्यक्रम में बालकों के मस्तिष्क के विकास से संबंधित विभिन्न विषयों को शामिल किया है। जैसे गणित ज्योतिष विद्या बीजगणित जमेट्री इत्यादि।

3. सौंदर्य विकास

:- प्लेटो के अनुसार बालकों में सुंदरी विकास से संबंधित विभिन्न विषयों को सम्मिलित करने को कहा है। जैसे नृत्य कला संगीत प्रकृति दर्शन आदि।

शिक्षा के विभिन्न स्तर

1. शैशवाकाल = 0-3 Years

:- प्लेटो ने शैशवाकाल में बालकों को परियों की कथाएं एवं कहानी सुनाने को कहा है।

2. Nursery = 3 – 6 Years

:- नर्सरी कक्षा बालकों के लिए खेल-कूद और मनोरंजन के विषय को सम्मिलित किया जाए।

3. Primary = 6 – 13 Years

:- प्राथमिक विद्यालय में बालक एवं बालिकाओं को अलग-अलग शिक्षा देने की व्यवस्था होनी चाहिए जिसमें धर्म शास्त्र संगीत नृत्य गणित कविताएं इत्यादि शामिल हो।

4. माध्यमिक ( Secondary ) = 13 -16 Years

:- माध्यमिक स्तर पर प्लेटो ने बालकों को म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट वाद्य यंत्र काव्य कविताएं साहित्य धार्मिक श्लोक गणित विज्ञान इत्यादि विषयों को सम्मिलित किया है।

5. Gymnastics स्तर = 16 – 18/20 Years

:- इस काल में बालकों को शारीरिक प्रशिक्षण  ,घुड़सवारी , शस्त्र संचालन , सैन्य संचालन / प्रशिक्षण इत्यादि विषयों को सम्मिलित करना चाहिए।

6. उच्च शिक्षा ( Higher Education ) = 20 – 30 Years

:- प्लेटो ने छठे उद्देश्य के तहत बालकों के लिए उच्च शिक्षा में वैज्ञानिक विषयों रेखा गणित अंकगणित संगीत नक्षत्र ज्ञान आदि विषयों को सम्मिलित किया गया जिसमें बालकों की उत्तीर्णता की जांच की जाएगी। जिसके तहत उसे राज्य के लिए अधिकारी बनने की योग्यता प्रदान की जाएगी।

7. उच्चतम उच्चतर शिक्षा ( Senior Secondary Education ) = 30 – 50 Years

:- प्लेटो ने बालकों को 30 वर्ष की अवस्था में पुनः चुनाव करने के लिए कुछ परीक्षाओं को आयोजन संबंधी बातों को कहते हैं। जैसे शासन के लिए कनिष्ठ अधिकारी का चुनाव 2 वर्ष के शिक्षा दी जाए वही दार्शनिक बनने के लिए 5 वर्ष की शिक्षा दी जाए जिसमें व्यक्ति को ज्ञान के द्वारा सद्गुणों का ज्ञान दिया जाए फिर उन्होंने कहा 50 वर्ष की आयु में बालक व्यक्ति को सेवानिवृत कर दिया जाएगा।

प्लेटो के अनुसार शिक्षण विधि

:- जहां तक शिक्षण विधि का प्रश्न है प्लेटो ने अपने गुरु सुकरात के विधि को ही स्वीकार किया है। यह विधि वार्तालाप की विधि होगी। प्लेटो ने वार्तालाप भी विधि को सर्वश्रेष्ठ माना जिसमें व्यक्ति की अभिव्यक्ति स्पष्ट रूप में दिखती है। उन्होंने खेल के द्वारा भी शिक्षा देने की बात कही है।

शैक्षणिक प्रशासन

:- प्लेटो ने शैक्षिक प्रशासन के तहत बालक को परिवार अनुशासन में न रखते हुए यह कहा कि वह बालक राज्य शासन के अंतर्गत रहेगा। जिसका पालन पोषण राज्य के शिशु शाला में होगी न कि परिवार में। राज का नियंत्रण बाला के शिशु शाला के लिए किया जाएगा। शिशु शाला में बालकों के प्रतिभाओं को उभारा जाएगा और राज्य प्रशासन कार्य के लिए बालक को तैयार किया जाएगा

Woman Education

:- प्लेटो ने स्त्री शिक्षा पर बल देते हुए स्त्रियों के लिए 20 शिक्षा के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें भी बालकों के समान सैनिक प्रशिक्षण खेलकूद घुड़सवारी शस्त्र संचालन एक्सरसाइज जिमनास्टिक आदि सामान्य विषयों को सिखलाना जाए। इसमें स्त्रियों को और शक्तिशाली बनाया जा सकेगा।

व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा

:- प्लेटो ने व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा को महत्व देते हुए कहा है कि या बालकों के लिए एवं बालिकाओं के लिए अत्यंत आवश्यक है जिसे उदासीनता या नकारा नहीं जा सकता है। बालकों को व्यवसायिक शिक्षा के लिए उन्मुख करना चाहिए।

दासों  की शिक्षा

:- प्लेटो ने दसों के शिक्षक पर महत्वपूर्ण बल देते हुए कहा है की इनकी शिक्षा शारीरिक मनोवैज्ञानिक एवं प्रजातांत्रिक सिद्धांत पर आधारित हो। उसने व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि यह भी समाज के नागरिक हैं। इन्हें भी शिक्षा दी जाए।

शिक्षक

:- प्लेटो के अनुसार शिक्षक का स्थान एक मार्गदर्शक पत्र दर्शक एवं सलाहकार होगा जो अंधेरे कुएं से शिक्षा के द्वारा प्रकाश की ओर ले जाएगा।

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