Mental Development during Adolescence | किशोरावस्था में मानसिक विकास
Mental Development during Adolescence या किशोरावस्था 13 साल से प्रारंभ होकर 19-20 साल तक चलती है। इस अवस्था में लड़कों एवं लड़कियों की मानसिक क्षमता (mental ability) का विकास अपनी चरम सीमा पर होता है। मनोवैज्ञानिकों का आम मत है कि इस अवस्था के अंत-अंत तक लड़कों एवं लड़कियों की मानसिक क्षमता का विकास अधिकतम हो जाता है और जीवन के बाद के वर्षों में इस मानसिक क्षमता का मात्र सुदृढीकरण (consolidation) होता है। इस अवस्था में किशोरों तथा किशोरियों की अभिरुचियों (interests) अधिक विस्तृत (broaden) हो जाती हैं। इन अभिरुचियों में सामाजिक अभिरुचियों (social interest) तथा शैक्षणिक अभिरुचि (educational interest) का महत्त्व शिक्षा के दृष्टिकोण से अधिक महत्त्वपूर्ण होता है।
Mental Development during Adolescence के प्रमुख पहलुओं पर इस प्रकार प्रकाश डाला जा सकता है.
1. चिंतन में औपचारिक संक्रियाएँ (Formal operations in thinking)
– किशोरावस्था में मानसिक विकास की एक विशेषता यह है कि इसमें किशोर काल्पनिक रूप से किसी वस्तु या घटना के बारे में चिंतन कर लेता है। अब ऐसा करने के लिए उसके सामने वस्तु का होना या घटना का घटित होना अनिवार्य नहीं है। इस अवस्था में किशोरों का चिंतन अधिक क्रमबद्ध (systematic) होता है और सभी तरह की औपचारिक संक्रियाओं (formal operations) की मदद से वे विभिन्न तरह का विश्लेषण (analysis) कर सकने में समर्थ होते हैं। अब वे किसी समस्या के समाधान में अपनी चिंतन प्रक्रिया को इतना तार्किक (logical) एवं क्रमबद्ध (systematic) बनाकर रखते हैं कि उन्हें किसी भी तरह की समस्या का समाधान करने में कम-से-कम कठिनाई होती है।
2. एकाग्रचित्तता (Concentration)
– इस अवस्था में किशोरों का मानसिक विकास इस स्तर का हो जाता है कि उनमें एकाग्रचित्त होने की क्षमता (ability to concentrate) बढ़ जाती है। इस तरह की क्षमता हालाँकि उत्तर बाल्यावस्था में भी होती है परंतु उसमें यह उतना अधिक विकसित नहीं होती है।
3. तथ्यों को सामान्यीकरण करने की क्षमता (Ability to generalise facts)
– किशोरावस्था में मानसिक विकास का स्तर इतना ऊँचा हो जाता है कि किशोरों में समस्या समाधान से प्राप्त तथ्यों को सामान्यीकरण करने की क्षमता काफी बढ़ जाती है। समस्या समाधान में वह जिन नियमों को सीखता है उसके सहारे अन्य दूसरी समस्याओं का भी समाधान आसानी से करता पाया जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि किशोरावस्था में किशोरों में अमूर्त ढंग से सामान्यीकरण करने की क्षमता होती है।
4. दूसरों के साथ संचार करने की क्षमता में वृद्धि (Increase in the ability to communicate (with others)
– किशोरावस्था में मानसिक विकास इतना हो जाता है कि वे किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी विषय पर स्पष्ट रूप से विचार-विमर्श तार्किक ढंग से (logically) कर सकते हैं।
5. समझ एवं पकड़ की क्षमता में वृद्धि (Increase in the ability to grasp and understand)
-किशोरों में दूसरों के व्यवहारों एवं अंतःक्रियाओं (interactions) को समझने की क्षमता काफी बढ़ जाती है। वे जल्दी ही किसी बात में छिपे गूढ़ तथ्य को समझ लेते हैं तथा कठिन से कठिन समस्या का समाधान कर लेते हैं।
6. निर्णय करने की क्षमता में वृद्धि (Increase in the ability to make decisions)
– किशोरों में स्वतंत्र होकर किसी विषय पर निर्णय करने की क्षमता पाई जाती है। उनके मानसिक विकास का स्तर इतना ऊँचा हो जाता है कि वे स्पष्ट रूप से वास्तविकता तथा आदर्श (ideals) के बीच अंतर कर लेते हैं। उनकी मानसिक परिपक्वता (mental maturity) इतनी हो जाती है कि वे विषय या समस्या के विभिन्न विकल्पों (alternatives) पर सोच-विचार कर एक अंतिम निर्णय से सकते है।
7. स्मृति शक्ति का विकास (Development of memory power)
– किशोरावस्था में शब्दावली (vocabulary) का विस्तार अधिक होता है और उनका प्रयोग विभिन्न परिस्थितियों में अधिक होता है। इसका परिणाम यह होता है कि किशोरों की स्मृति शक्ति (memory power) अधिक विकसित हो जाता है। वह इस विकसित स्मृति शक्ति के कारण उन परिस्थितियों एवं उद्दीपनों (stimuli) के बारे में भी सही कल्पना कर लेता है जो उसके सामने भौतिक रूप से उपस्थित नहीं होते हैं। वे अब किसी तथ्य को अपनी स्मृति में लंबे समय तक संजोकर रख सकते हैं। दूसरे शब्दों में, किशोरावस्था में दीर्घकालीन स्मृति (long-term memory) अधिक मजबूत हो जाती है।
8. नैतिक संप्रत्ययों की समझ (Understanding moral concepts)
– किशोरावस्था के मानसिक विकास की एक विशेषता यह है कि इस अवस्था में किशोरों में नैतिक मूल्यों (moral values) का विकास हो जाता है। वैसे तो कुछ नैतिक मूल्यों का विकास उत्तर बाल्यावस्था (later childhood) में हो जाता है परंतु उत्तर बाल्यावस्था में उसे जो कुछ अपने माता-पिता या शिक्षक द्वारा कहा जाता है, उसे वह आँख मूंदकर मान लेता है। परंतु इस अवस्था में वह नैतिक मूल्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन (critical evaluation) करता है तथा सामाजिक मूल्यों के अनुसार अच्छा क्या है और बुरा क्या है, के बीच स्पष्ट रूप से अंतर कर लेता है।
9. समस्या को अमूर्त संकेतों द्वारा समाधान करने की क्षमता (Ability to solve problems by abstract symbols)
–किशोरों में अमूर्त चिंतन (abstract reasoning) की क्षमता काफी बढ़ जाती है। उनमें मानसिक परिपक्वता इतनी अधिक बढ़ जाती है कि वे उन समस्याओं के समाधान पर सफलतापूर्वक चिंतन करना प्रारंभ कर देते हैं जिनमें संकेतों एवं चिह्नों (signs) के सहारे समाधान ढूँढ़ा जा सकता है। वे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर चिंतन प्रारंभ कर देते हैं और इन समस्याओं के बारे में अमूर्त गुणात्मक संप्रत्ययों (abstract qualitative concepts) के रूप में चिंतन करने की अद्वितीय क्षमता उनमें विकसित हो जाती है।
10. वाहरी दुनिया के प्रमुख व्यक्तित्व एवं परिस्थितियों के साथ तादात्म्य (Identification with major personalities and conditions of external worlds)
–किशोरों में मानसिक परिपक्वता इतनी अधिक हो जाती है कि वे बाहरी दुनियाँ के उन व्यक्तियों, जिन्हें वे महत्त्वपूर्ण समझते हैं, के साथ एक तादात्म्य (identification) स्थापित कर लेते हैं और इस तरह अपने में कुछ वैसे गुणों को विकसित कर लेते हैं जिनसे किसी समस्या के समाधान में उन्हें अधिक सहूलियत होती है।
इस तरह हम देखते हैं कि किशोरों के मानसिक विकास के गुण कुछ ऐसे होते हैं जिससे उनमें यथार्थता तथा मानसिक परिपक्वता अधिक झलकती है।
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