Identification of teacher’s profession :- एक अच्छा शिक्षक हमेशा अपने छात्रों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके संपर्क में रहने से न केवल विद्यार्थियों के अकादमिक विकास में सुधार होता है, बल्कि उनके आदर्शों और मार्गदर्शन से उन्हें अच्छे नागरिक भी बनाने में मदद मिलती है। शिक्षकों के द्वारा प्रदत्त शिक्षा छात्रों के जीवन में एक नई दिशा देती है, जो उनकी सफलता और खुशहाली की ओर बढ़ती है।
शिक्षक के वृत्ति की पहचान | Identification of teacher’s profession
शिक्षा का महत्व हमारे समाज के विकास में अविभाज्य भूमिका निभाता है। शिक्षा न केवल ज्ञान को बढ़ाने का माध्यम होती है, बल्कि उसे स्वरूपांतरित करके बदलने और बेहतर बनाने का जरिया भी है। एक अच्छे शिक्षक के द्वारा प्रदान की जाने वाली शिक्षा छात्रों के मस्तिष्क में नए विचारों की प्रवृत्ति भरती है और उन्हें उनके अद्वितीय क्षमताओं का पता चलता है।
शिक्षक के वृत्ति की पहचान करने के लिए हमें ध्यान देने की आवश्यकता होती है। एक सच्चा शिक्षक हमेशा उत्साह, समर्पण, और सामरिकता से भरपूर होता है। वह अपने छात्रों के प्रति प्यार और सम्मान व्यक्त करता है और उन्हें अपनी गलतियों से सीखने का मौका देता है। शिक्षक की वृत्ति में उनकी उत्साहजनक वाणी, संवेदनशीलता, और संघर्ष की कथा होती है जो छात्रों को प्रेरित करती है।
इस ब्लॉग सीरीज में, हम विभिन्न शिक्षकों के वृत्ति के विषय में गहराई से विचार
आदर्शवादिता के गुण
:- एक अच्छे अध्यापक में अनेक गुण होते हैं। अध्यापक को आदर्शवादी व्यवहारपरख होना चाहिए। जीवन शैली के प्रत्येक मामले में आदर्शवादी होना चाहिए। समय के पाबंद हो , आदर्शवादी पहनावा हो , बातचीत करने का ढंग समुचित हो , नैतिकता का पालन करने वाला हो , अध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण हो , सत्यभाषी हो , मितभाषी हो , छात्र-छात्राओं का हितेषी हो , कल्याणकारी भावना से ओतप्रोत हो इत्यादि।
आदर्श अध्यापक की संकल्पना
1. लक्ष्यपरख क्रियाएं
:- किसी भी अध्यापक का एक लक्ष्य नहीं हो सकता। भिन्न-भिन्न अध्यापकों के लिए अलग अलग हो सकते हैं। एक ही अध्यापक का अनेक लक्ष्य हो सकते हैं। लक्ष्यपरख उद्देश्यों से तात्पर्य है वह उद्देश्य जो अध्यापक को अपने व्यवसाय से संबंधित करने होते हैं अर्थात जो शिक्षा से संबंधित एवं अध्यापन से भी संबंधित हो।
2. दक्षतापरख क्रियाएं
:- शिक्षक केवल शिक्षकिए दुकान खोलने भर से नहीं होता। केवल पढ़ाने भर से उनके कर्तव्यों की इतिश्री नहीं होती। अच्छा शिक्षक वही है जो अपने छात्रों को विषयों में दक्षता प्रदान करता है। इसके लिए उसे स्वयं भी अपने विषय में परांगत एवं दक्ष होना चाहिए। दक्षता के अधिगम एवं आत्मसात करने की आवश्यकता के कारण ही बार-बार अभ्यास करा कर छात्र को दक्ष बनाया जा सकता है।
3. कार्यपरख क्रियाएं
:- विद्यालय संबंधी नीति निर्माण में सहयोग करना , विद्यालय संस्कृति को कायम रखना , समय की पाबंदी बनाए रखना, विद्यालय में विभिन्न योजनाओं को संचालित करना , विद्यालय के निर्णय कार्य , छात्रों को छात्रवृत्ति , पाठ्य सामग्री क्रियाएं , खेलकद , समाजिक , राष्ट्रीय एवं विद्यालय उत्सव मनाना , शिक्षक अभिभावक संघ, विद्यालय विकास में सहायता करना ये सब कार्यपरख दक्षताएं के अंतर्गत आएंगे।
अध्यापक में कुशलता के गुण
बैरी ने अध्यापक के नियम गुणों को कौशलता के अंतर्गत समाहित किया है –
1. उत्प्लावन गुण
A. वार्तालाप में निपुणता
B. खुशमिजाजी
C. प्रसंता के गुण
D. परवाह करना अर्थात लापरवाह ना होना
E. सजग रहना / सजगता
F. आदर्शवादी होना
2. दूसरों के हित के लिए तैयार रहना
A. दूसरों की भलाई के लिए सोचना
B. दूसरों से हमदर्दी रखना
C. समझदारी
D. निस्वार्थ होकर कार्य करना
E. धैर्य धारण करना
3. सहयोगात्मक व्यवहार
A. मित्रतापूर्वक व्यवहार
B. सरलतापूर्वक कार्य करना
C. तर्क सम्मत ढंग /तर्क के अनुकूल कार्य करना
D. उदारता
E. स्वीकार करना / ग्रहण करना
F. लचीलापन होना
G. उत्तरदायित्व ग्रहण करना
H. दानवीरता
4. संवेगात्मक स्थिरता
A. जीवन के समस्याओं की वास्तविकताओं को समझना
B. भावनात्मक परेशानियों से मुक्त
C. स्थिरता
D. शांत एवं आत्मविश्वास
E. आत्मनियंत्रण
5. नैतिकतापूर्ण
A. अच्छा स्वभाव
B. आधुनिकता
C. अच्छा नहीं थी का आचार व्यवहार
D. अच्छी आदतें एवं मृदुल व्यवहार
E. संस्कृतिक स्वच्छता
F. परंपरागत
6. विचारों का प्रकटीकरण
A. विचारों की अभिव्यक्ति
B. मौखिक धाराप्रवाह अभिव्यक्ति
C. संवाद संप्रेषण
D. क्षमता
E. साहित्यिकता
7. अग्रतम स्थिति में रहना –
इसका तात्पर्य शारीरिक शक्ति से नहीं विचारों से संबंधित रहना है।
A. दूसरों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण या उल्लेखनीय
B. दूसरों पर आश्रित नहीं स्वतंत्र
C. अपने पैरों पर खड़ा होना
D. दृढ़ निश्चय
E. कारणयुक्त / कारण से संबंधित
F. पीछे पड़ना अर्थात लगे रहना लगन से
8. बुद्धिमता
A. मानसिक जागरूकता
B. शैक्षणिक अभिवृत्ति
C. चिंतन
D. संबंधों की समझने की शक्ति
9. न्याय
A. उचित कार्यकारी चुनाव की बुद्धिमता
10. उदेशपूर्णता
A. ईमानदारी
B. पक्षपात
C. खुले दिमाग से कार्य करना
D. पूर्व धारणाओं से मुक्त
E. साक्षय ज्ञान
शिक्षा में कुशलता या दक्षता
शिक्षण कौशल का अर्थ एवं परिभाषा —
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डॉ बीके पासी के अनुसार
:- “शिक्षण कौशल छात्रों को सीखने के लिए सुगमता प्रदान करने के विचार से संपन्न की गई संबंधित शिक्षण क्रियाओं या व्यवहारों का समूह है।”
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डॉ बूल श्रेष्ठ के अनुसार
:- “शिक्षण कौशल शिक्षक के हाथ में वह शस्त्र है इसका प्रयोग करके शिक्षक अपने कक्षा शिक्षण को प्रभावशाली एवं सक्रिय बनाता है तथा कक्षा की अंत क्रिया में सुधार लाने का प्रयास करता है।”
शिक्षण कौशल की विशेषताएं
शिक्षण कौशल की विशेषताएं निम्नलिखित है –
1. शिक्षण कौशल शिक्षण प्रक्रियाओं तथा व्यवहारों से संबंधित होते हैं।
2. शिक्षण कौशल कक्षा शिक्षण व्यवहार की इकाई से संबंधित होते हैं।
3. शिक्षण कौशल शिक्षा के विशिष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होते हैं।
4. शिक्षण कौशल शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाते हैं।
5. शिक्षण कौशल के माध्यम से विषय वस्तु छात्रों को सरलता सुगमता से सिखा सकते हैं।
6. शिक्षण कौशल से समस्त अंत: क्रियाओं को सक्रिय बनाया जाता है।
खोज प्रश्न कौशल / खोजक प्रश्न कौशल
:- इसमें खोज प्रकार के प्रश्न पूछकर शिक्षक छात्रों का ध्यान आकर्षित करते हैं। और उन्हें अभीप्रेरित करते हैं। वे छात्रों में रुचि एवं जिज्ञासा उत्पन्न करके अनेक पूर्व ज्ञान को नवीन ज्ञान से जोड़ता है। छात्र चिंतनशील होकर गहराई में जाते हैं और विभिन्न पहलुओं पर ध्यान पूर्वक मंथन करते हैं।
खोजपूर्ण प्रश्न कौशल का घटक
इस कौशल के निम्नलिखित घटक है
1. संकेत देना
:- शिक्षक घर कक्षा में प्रश्न पूछता है तो उसे कई बार नकारात्मक उत्तर प्राप्त होता है। जैसे ( मुझे नहीं पता , मैं नहीं जानता या ठीक उत्तर नहीं आता ) तो शिक्षक संकेत देकर उन्हें सही उत्तर देने के लिए प्रेरित करता है।
2. विस्तृत सूचना प्राप्ति
:- जब छात्र अधूरा उत्तर देते हैं तो शिक्षक पूर्ण उत्तर प्राप्ति हेतु प्रयास करता है इसके लिए शिक्षक कहता है -तुम ठीक कह रहे हो , हां यह बात स्पष्ट करो , कुछ और बताओ , इनमें से एक महत्वपूर्ण बात और है जरा सोचो और कौन सही है। इस प्रकार शिक्षक विस्तृत सूचना घटक का प्रयोग करता है।
3. पुनः केंद्रीकरण ( Redirection )
:- जब शिक्षक पूर्ण उत्तर प्राप्त कर लेता है तब प्राप्त ज्ञान को नवीन विषय वस्तु से जोड़ने का प्रयास करता है इसे पुनः केंद्रीकरण कहा जाता है।
4. आलोचनात्मक सजगता ( Critical Awareness )
:- अंत में शिक्षक सही उत्तर पाने के पश्चात छात्रों से उत्तर के सार्थकता बताने के लिए कहता है। यही आलोचनात्मक सजगता कहलाती है।
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