Social Development in Adolescence | किशोरावस्था में सामाजिक विकास

 Social Development in Adolescence | किशोरावस्था में सामाजिक विकास

 

Social Development in Adolescence केअनुसार  किशोरावस्था 13 साल से प्रारंभ होकर 19-20 साल तक की होती है। इस अवस्था में किशोरों को कई तरह की नई-नई सामाजिक भूमिकाएँ (social roles) अदा करनी होती हैं ताकि उनका समायोजन पैटर्न (adjustment pattern) एक परिपक्व वयस्क (matured adult) के समायोजन पैटर्न के अनुकूल हो सके। इन भूमिकाओं को निभाने में किशोरों में निम्नांकित सामाजिक परिवर्तन (social changes) आते हैं जो शिक्षकों के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं

(1) साथियों के समूह का प्रभाव (Peer-group influence)

 

– किशोरों का अधिक समय घर से बाहर अपने समकक्षियों या दोस्तों के साथ ही बीतता है। वे अपना पहनावा, अभिरुचि, वेश-भूषा, मनोवृत्ति ठीक वैसा ही रखना पसंद करते हैं जैसा कि उनके अन्य साथीगण पसंद करते हैं। लेकिन, किशोरावस्था के अंतिम सालों में अभिजात-समूह या संगी-साथियों के समूह का यह प्रभाव धीरे-धीरे समाप्त होने लगता है; क्योंकि वे अब अपना एक स्वतंत्र परिचय (independent identity) बनाने में अधिक अभिरुचि लेना प्रारंभ कर देते हैं।

(2) सामाजिक व्यवहार में परिवर्तन (Changes in social behaviour)

 

–किशोरावस्था में किशोरों की सामाजिक मनोवृत्ति (social attitude) तथा व्यवहार में भी महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं। इन परिवर्तनों में शिक्षकों तथा माता-पिता के लिए जो सबसे महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होता है वह है विषमलिंगी संबंधों (heterosexual relationship) में परिवर्तन। इस अवस्था की शुरुआत बालक एवं बालिकाएं अपने-अपने लिंग के व्यक्तियों के प्रति अधिक आकर्षित रहते हैं। परंतु इस अवस्था के उत्तरकाल (later period) में किशोरों की अभि एवं आकर्षण किशोरों में तथ किशोरियों का किशोरों में अधिक बढ़ जाता है। अब दोनों एक-दूसरे के साथ मिल सामाजिक क्रियाओं में हाथ बैठाना अधिक पसंद करते हैं। फलस्वरूप इस अवस्था में व्यक्तियों में सामाजिक सुर तथा सामाजिक सहभागिता (social participation) अधिक उत्पन्न हो जाती है जिससे किशोरों के समाजीकरण में तीव्रता आती है।

(3) नया सामाजिक समूहन (New social groupings)

 

– किशोरावस्था में व्यक्ति में नया सामाजिक समूहन (new social groupings) भी देखने को मिलता है। किशोरों का सामाजिक समुष्टय (social groupings) किशोरियों के सामाजिक समूहन से सामान्यतः अधिक बढ़ा एवं स्पष्ट रूप से परिभाषित होता है। किशोरों में किसी संगठित समूह (organised group) का सदस्य बनने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है और वे उसका सदस्य बनकर अपनी सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना चाहते हैं। यदि इस तरह का संगठित समूह का सदस्य बनने से भी उनकी आवश्यकता पूरी नहीं होती है तो वे समान लिंग के व्यक्तियों के साथ मिलकर एक विशेष टोली (gang) का निर्माण करते हैं और कुछ समाजविरोधी व्यवहार (antisocial behaviour) करके अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। किशोरियों का समूहन (groupings) घनिष्ठ मित्रों के समूह से किसी संगठित समूह (organised group) के सदस्य बनने तक ही सीमित होता है।

(4) दोस्तों के चयन में नया मूल्य (New values in selection of friends)

 

– बाल्यावस्था (childhood) में तो बालक उन सभी बालकों को अपना दोस्त बना लेते हैं जो वर्ग में साथ पढ़ते है या पास-पड़ोस में रहते है। परंतु, किशोरावस्था में दोस्ती का आधार कुछ दूसरा ही होता है। इस अवस्था में किशोर उन्हीं को अपना दोस्त बनाता है जिनकी अभिरुचियाँ (interests) तथा मूल्य (values) उनकी अभिरुचियों तथा मूल्य के समान होते हैं, जो उन्हें सही-सही समझता है तथा उनमें सुरक्षा की भावना उत्पन्न करता है तथा जिनपर वे तहेदिल से विश्वास कर सकते हैं ताकि उनके साथ वे उन सभी विषयों की चर्चा कर सकें जिनपर सामान्यतः वे अपने माता-पिता या शिक्षक से बातचीत नहीं कर सकते। जोसेफ (Joseph, 1969) ने एक अध्ययन किया जिसके आधार पर यह बताया कि किशोरावस्था में व्यक्ति दोस्ती उन्हीं से करता है जिनपर उन्हें विश्वास होता है, जिनसे खुलकर वे बातचीत कर सकें तथा जिनपर वे तहेदिल से भरोसा कर सकें।

(5) सामाजिक स्वीकृति में नया मूल्य (New values in social acceptance)

 

– किशोरावस्था में कोई भी व्यक्ति विभिन्न टोलियों (gangs) द्वारा स्वीकृत किया जाएगा या अस्वीकृत किया जाएगा यह कई बातों पर निर्भर करता है। जैसे यदि उसका व्यक्तित्व आकर्षक है, उसमें नेतृत्व संबंधी गुण है, उसमें सहयोगिता, उत्तरदायित्व तथा अच्छे तौर-तरीके है, तो उसे किशोरों की विभिन्न टोलियों द्वारा सामाजिक स्वीकृति तुरंत मिल जाती है। परंतु, यदि उसमें इन सभी गुणों का अभाव है और इन सबके विपरीत गुणों की अधिकता है, तो उसे किशोरों की विभिन्न टोलियों द्वारा सामाजिक अस्वीकृति अधिक मिलती है।

(6) नेताओं के चयन में नया मूल्य (New values in selection of leaders)

 

– किशोरावस्था में कई तरह के सक्रिय समूह पाए जाते हैं। कुछ समूह सामाजिक (social) होते हैं, कुछ समूह बौद्धिक (intellectual) होते हैं, कुछ समूह धार्मिक (religious) तथा कुछ पुष्टकाय (athletic) होते हैं। प्रत्येक समूह के नेता के रूप में किशोर उसी व्यक्ति को चुनता है, जिसका डील-डौल आकर्षक हो, जिसे लोग प्रतिष्ठा देते हों, जो बहिर्मुखी (extrovert) हो तथा जो उनके विचारों का सही-सही प्रतिनिधित्व (representation) करता हो। सामान्यतः यह देखा गया है कि किशोरों के समूह का नेतृत्व करनेवाला व्यक्ति अकसर उच्च सामाजिक-आर्थिक स्तर (high socio-economic status) से आता है।

इस तरह यह स्पष्ट है कि किशोरावस्था में होनेवाले सामाजिक परिवर्तन (social changes) तथा सामाजिक व्यवहार बहुत कुछ ऐसे होते हैं जो एक वयस्क के सामाजिक व्यवहार तथा सामाजिक परिवर्तन के लगभग समान हैं।

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