2002 में गुजरात दंगों का शिकार बने बिलकिस बानो और उनके परिवार का साम्पद्रायिक हिंसा द्वारा एक पीड़ित।

सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने 11 दोषियों की रिहाई का गुजरात सरकार का फैसला रद्द किया।

दोषियों को दो हफ्ते के भीतर पुन: आत्मसमर्पण का आदेश देने का निर्णय।

गुजरात सरकार के फैसले को अदालत ने अस्वीकार किया और महाराष्ट्र सरकार से आत्मसमर्पण का निर्णय लेने का आदेश दिया।

बिलकिस बानो की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई थी और अदालत ने गुजरात सरकार का फैसला शक्ति का दुरुपयोग बताया।

बिलकिस बानो का परिवार गोधरा कांड के दौरान बेहद क्रूरता का सामना करता है, जिसमें सात लोगों की हत्या हुई थी।

घटना के बाद बिलकिस बेहोश रहीं और इसके बाद एक आदिवासी महिला से कपड़े उधार लिए।

दोषी ने बिलकिस के साथ कई बार सामूहिक बलात्कार किया और उनकी साढ़े तीन साल की बेटी को मारा गया।

उच्चतम न्यायालय में बिलकिस बानो ने दुष्कर्म के खिलाफ अपनी याचिका पर सुनवाई करते हुए घटना का बयान दिया।

इस मामले में 11 दोषियों को 15 अगस्त 2023 को रिहा किया गया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी।